कलम से _ _ _ _
छोटा एक पौधा,
बडे वृक्ष के साये तले
खडे रहने
बडे होने की जद्दोजहद में मशगूल
कोशिश हर रोज है करता,
चंद सूर्य किरणें पहुंचे उसकी भी ओर
सिर उठाता, फिर झुक जाता
हार लेकिन नहीं मानता।
हा हा हा कर हंस लिया
फिर थोडा सा रो लिया,
बडा वृक्ष आखिर कहने लगा
वत्स निराश न हो
दिन तेरे भी आएगें
जब मेरे चुक जाएगं।
इंतजार कर मेरे बच्चे दुनियां में जो आया है
वह एक दिन जाएगा,
लेने उसकी जगह दूसरा कोई आएगा।
//surendrapal singh//
07232014
http://1945spsingh.blogspot.in/
and
http://spsinghamaur.blogspot.in/ — with Puneet Chowdhary.
छोटा एक पौधा,
बडे वृक्ष के साये तले
खडे रहने
बडे होने की जद्दोजहद में मशगूल
कोशिश हर रोज है करता,
चंद सूर्य किरणें पहुंचे उसकी भी ओर
सिर उठाता, फिर झुक जाता
हार लेकिन नहीं मानता।
हा हा हा कर हंस लिया
फिर थोडा सा रो लिया,
बडा वृक्ष आखिर कहने लगा
वत्स निराश न हो
दिन तेरे भी आएगें
जब मेरे चुक जाएगं।
इंतजार कर मेरे बच्चे दुनियां में जो आया है
वह एक दिन जाएगा,
लेने उसकी जगह दूसरा कोई आएगा।
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