कलम से _ _ _ _
चलते चलाते कभी सुना है,
कुछ होता है,
कभी कुछ नहीं
कभी बहुत कुछ होता है।
चलते चलते ही
तो वो हमारे हो गये,
हम उनके हो गये,
आप पूछ रहे हो,
क्या चलते चलाते,
कभी कुछ होता है?
आज की बात क्या कहें
आप से,
बस मुलाकात हो गयी,
एक मौका मिला,
और ये नायाब बात हो गयी
आप मेरे मैं तेरे साथ हो गई।
चलते-चलते ही
चंद लम्हों में
बहुत कुछ हो जाता है,
जो अपने से लगते हैं पराये हो जाते हैं
जो पराये होते हैं अपने बन से जाते है।
//surendrapal singh//
07 29 2014
http://1945spsingh.blogspot.in/
an
http://spsinghamaur.blogspot.in/
चलते चलाते कभी सुना है,
कुछ होता है,
कभी कुछ नहीं
कभी बहुत कुछ होता है।
चलते चलते ही
तो वो हमारे हो गये,
हम उनके हो गये,
आप पूछ रहे हो,
क्या चलते चलाते,
कभी कुछ होता है?
आज की बात क्या कहें
आप से,
बस मुलाकात हो गयी,
एक मौका मिला,
और ये नायाब बात हो गयी
आप मेरे मैं तेरे साथ हो गई।
चलते-चलते ही
चंद लम्हों में
बहुत कुछ हो जाता है,
जो अपने से लगते हैं पराये हो जाते हैं
जो पराये होते हैं अपने बन से जाते है।
//surendrapal singh//
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