कलम से _ _ _ _
नीम सें निम्बौरी पकि कें टपकि रयी हैं,
राम की गिलहरिया मजे लेंके खाय रयी है।
दशहरी अमियाँ खायबे कों आय रयी हैं,
जामुन जमुनिंया पकि कें तैयार हैं रयी है।
सावन के महीने में गुजरियाँ नाच रयी हैं,
सावन के गीत "ऐजी कोई हम्बै" गाय रयी है।
बडे बूढे खटिया पै बैठ हुक्का गुडगुडाय रहे हैं,
लौडांवाये गिल्ली डंडा घेर मे खेल रहे हैं।
दूर कहीं हम खडे मन ही मन मुश्कियाय रहे हैं,
बीते वक्त की याद कर अखियां भर आय रही हैं।
एक मित्र मेरा दूर खडा कह रहा है:-
न आ रिया है, न जा रिया है
बस खडा खडा, मुस्कारिया है।
//surendrapal singh//
07202014
http://1945spsingh.blogspot.in/2014/07/blog-post.html
and
http://spsinghamaur.blogspot.in/ — with Ram Saran Singh and 46 others.
नीम सें निम्बौरी पकि कें टपकि रयी हैं,
राम की गिलहरिया मजे लेंके खाय रयी है।
दशहरी अमियाँ खायबे कों आय रयी हैं,
जामुन जमुनिंया पकि कें तैयार हैं रयी है।
सावन के महीने में गुजरियाँ नाच रयी हैं,
सावन के गीत "ऐजी कोई हम्बै" गाय रयी है।
बडे बूढे खटिया पै बैठ हुक्का गुडगुडाय रहे हैं,
लौडांवाये गिल्ली डंडा घेर मे खेल रहे हैं।
दूर कहीं हम खडे मन ही मन मुश्कियाय रहे हैं,
बीते वक्त की याद कर अखियां भर आय रही हैं।
एक मित्र मेरा दूर खडा कह रहा है:-
न आ रिया है, न जा रिया है
बस खडा खडा, मुस्कारिया है।
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