कलम से _ _ _ _
कदम्ब की डाली पै सखियाँ झूला डारि रई है,
जमुना के मीठे पानी सौ गोपियां नहाय रई हैं।
सावन की अधेंरी रातन में राधा आय रई हैं,
कान्हा संग रास खेलन कों आय रई हैं।
महावर दोनों पैरन में खूब रचाइ लयी है,
काजल सों आँखे सलोनी बनाय लई हैं।
गालन पै लाली बडी सुहानी छाय रही है,
बेला चमेली फूलन सें वेणी लहराय रई है।
सोलह श्रृंगार कर राधा रानी आय रई है,
संग रास रचाइवें कान्हा कौ बुलाय रई है।
निधिवन में राधा हौले हौले जाय रई है,
रंग हाथ लयें मुरलीधर वाट जोय रये हैं।
रात सारी रंगीन रहेगी मांग राधे की सजेगी,
वृन्दावन के लोग लुगाइंया मद मस्त रहेगीं।
(उठ जाग घुराड़े मार नहीं, एह सौण तेरे दरकार नहीं- बुल्लेह शाह जी हमें उठने अौर सोलह-श्रृंगार हेतु प्रेरित करते हैं।
मैने प्रयास किया है कि उपरोक्त भाव राधा कृष्ण की रासलीला में पिरोया जाय।)
//surendrapal singh//
07232014
http://1945spsingh.blogspot.in/
and
http://spsinghamaur.blogspot.in/ — with Ramaa Singh and Puneet Chowdhary.
कदम्ब की डाली पै सखियाँ झूला डारि रई है,
जमुना के मीठे पानी सौ गोपियां नहाय रई हैं।
सावन की अधेंरी रातन में राधा आय रई हैं,
कान्हा संग रास खेलन कों आय रई हैं।
महावर दोनों पैरन में खूब रचाइ लयी है,
काजल सों आँखे सलोनी बनाय लई हैं।
गालन पै लाली बडी सुहानी छाय रही है,
बेला चमेली फूलन सें वेणी लहराय रई है।
सोलह श्रृंगार कर राधा रानी आय रई है,
संग रास रचाइवें कान्हा कौ बुलाय रई है।
निधिवन में राधा हौले हौले जाय रई है,
रंग हाथ लयें मुरलीधर वाट जोय रये हैं।
रात सारी रंगीन रहेगी मांग राधे की सजेगी,
वृन्दावन के लोग लुगाइंया मद मस्त रहेगीं।
(उठ जाग घुराड़े मार नहीं, एह सौण तेरे दरकार नहीं- बुल्लेह शाह जी हमें उठने अौर सोलह-श्रृंगार हेतु प्रेरित करते हैं।
मैने प्रयास किया है कि उपरोक्त भाव राधा कृष्ण की रासलीला में पिरोया जाय।)
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सावन की फुहारों के बीच यह रचना बहुत उपयोगी लगी।
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सुन्दर ग़ज़लनुमा नज़्म।
आपका ह्रदय से आशीर्वाद के लिए धन्यवाद।कृपादृष्टि बनाये रहें।
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