Sunday, July 13, 2014

उठ जाग री, देख आज की भोर है कितनी सुहावनी !

Today morning only..............

कलम से ....

उठ जाग री,
देख आज की
भोर है कितनी सुहावनी,
एक-एक कर तारे
सब डूबे,
नद की परछाईं मे,
देख,
सूरज ने दे दी है दस्तक,
अब तू जाग री ।

रन्नो, तू अभी भी
सो रही है,
उठ उठ
जाग री ।

हरियौं ने शुरू
किये अपने करतब,
कितनी अमियाँ टपका दी है,
जा उठ दौड़ ले आ
नहीं कोई और ले जाऐगा,
फिर कदुआ कैसे बनेगा
दाल अरहर मे भी अमियाँ पड़ेगी,
जा भागरी ।

मुझे करने है,
बहुतआज काम,
कुछ हाथ आज बाँट री।

सब कुछ बाँट,
ले मेरा,
भाग भी बाँट री।
 — with Ram Saran Singh and 19 others.
Photo: Today morning only..............

कलम से ....

उठ जाग री,
देख आज की
भोर है कितनी सुहावनी,
एक-एक कर तारे 
सब डूबे,
नद की परछाईं मे,
देख,
सूरज ने दे दी है दस्तक,
अब तू जाग री ।

रन्नो, तू अभी भी
सो रही है,
उठ उठ
जाग री ।

हरियौं ने शुरू
किये अपने करतब,
कितनी अमियाँ टपका दी है,
जा उठ दौड़ ले आ
नहीं कोई और ले जाऐगा,
फिर कदुआ कैसे बनेगा
दाल अरहर मे भी अमियाँ पड़ेगी,
जा भागरी ।

मुझे करने है, 
बहुतआज काम,
कुछ हाथ आज बाँट री।

सब कुछ बाँट,
ले मेरा, 
भाग भी बाँट री।

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