Today morning only..............
कलम से ....
उठ जाग री,
देख आज की
भोर है कितनी सुहावनी,
एक-एक कर तारे
सब डूबे,
नद की परछाईं मे,
देख,
सूरज ने दे दी है दस्तक,
अब तू जाग री ।
रन्नो, तू अभी भी
सो रही है,
उठ उठ
जाग री ।
हरियौं ने शुरू
किये अपने करतब,
कितनी अमियाँ टपका दी है,
जा उठ दौड़ ले आ
नहीं कोई और ले जाऐगा,
फिर कदुआ कैसे बनेगा
दाल अरहर मे भी अमियाँ पड़ेगी,
जा भागरी ।
मुझे करने है,
बहुतआज काम,
कुछ हाथ आज बाँट री।
सब कुछ बाँट,
ले मेरा,
भाग भी बाँट री। — with Ram Saran Singh and 19 others.
कलम से ....
उठ जाग री,
देख आज की
भोर है कितनी सुहावनी,
एक-एक कर तारे
सब डूबे,
नद की परछाईं मे,
देख,
सूरज ने दे दी है दस्तक,
अब तू जाग री ।
रन्नो, तू अभी भी
सो रही है,
उठ उठ
जाग री ।
हरियौं ने शुरू
किये अपने करतब,
कितनी अमियाँ टपका दी है,
जा उठ दौड़ ले आ
नहीं कोई और ले जाऐगा,
फिर कदुआ कैसे बनेगा
दाल अरहर मे भी अमियाँ पड़ेगी,
जा भागरी ।
मुझे करने है,
बहुतआज काम,
कुछ हाथ आज बाँट री।
सब कुछ बाँट,
ले मेरा,
भाग भी बाँट री। — with Ram Saran Singh and 19 others.
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