( सावन मल्हार लोकगीत):-
सावन झूला झूले सखि राधिका संग
ऐजी कोई हम्बे हाँ हाँ कोई हम्बे
झूलावें घनश्याम सावन---
घर सों निकर कै आई ननदीया
बरसें फुहारें उडे रे बदरिया
ऐजी कोई हम्बे हाँ हाँ कोई हम्बे
करे दिल घात सावन---
तीज मनावन बाबूल घर हौ
सेमी खाजा खाये जीभर हौ
ऐजी कोई हम्बे हाँ हाँ कोई हम्बे
नैहर कटे रात सावन---
जौवन छायो भरे हिलोरें
आग लगावे पवन झकोरें
ऐजी कोई हम्बे हाँ हाँ कोई हम्बे
पिया को बताय सावन---
ऐजी--
हरिहरि सिहं द्वारा रचित............
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A wonderful poem on sawan. A folklore.
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