कलम से _ _ _ _
माँ यशोदा कन्हैया से:-
उठ लाला उठ भोर भई
अब कहाँ तू सोवत है
जा मुहं धोय लै
कछु खाय लै
कछु पी लै।
जा जा
गइयां राह तकि रहीं तेरी
भूखी देख खडी हैं कब की
और न तरसाऔ
जा मेरे लाला गइय्यन पाछे जाऔ..........
//surendrapal singh//
07272014
http://1945spsingh.blogspot.in/
and
http://spsinghamaur.blogspot.in/ — with Puneet Chowdhary.
माँ यशोदा कन्हैया से:-
उठ लाला उठ भोर भई
अब कहाँ तू सोवत है
जा मुहं धोय लै
कछु खाय लै
कछु पी लै।
जा जा
गइयां राह तकि रहीं तेरी
भूखी देख खडी हैं कब की
और न तरसाऔ
जा मेरे लाला गइय्यन पाछे जाऔ..........
//surendrapal singh//
07272014
http://1945spsingh.blogspot.in/
and
http://spsinghamaur.blogspot.in/ — with Puneet Chowdhary.
No comments:
Post a Comment