Saturday, July 12, 2014

जिदंगी के सफर में, कई लोग मिलते हैं, कुछ अमिट छाप छोड जाते हैं!

18-05-2014

कलम से----

जिदंगी के सफर में,
कई लोग मिलते हैं, 
कुछ अमिट छाप छोड जाते हैं,
कुछ अपने साथ ही,
हम को लिए जाते हैं।

सफर है जो खत्म,
होने पर नहीं आता,
मन इस सफर से,
अब घबरा रहा है।

आ जाओ,
आ भी जाओ,
कभी नदी किनारे बैठेंगे,
कुछ तुम्हारी सुनेंगे,
कुछ दिल की बात कह लेंगे,
बहती धारा में मिल कर हाथ धो लेगें,
कागज की कश्ती पर हो सवार,
जिदंगी का सफर तय कर लेंगे।

दूर कहीं दूर चले जाएंगे,
फिर लौट कभी न आएगें,
फिर लौट कभी न आएगें।
 — with आशीष कैलाश तिवारी and 18 others.
Photo: 18-05-2014

कलम से----

जिदंगी के सफर में, 
कई लोग मिलते हैं, 
कुछ अमिट छाप छोड जाते हैं,
कुछ अपने साथ ही, 
हम को लिए जाते हैं।

सफर है जो खत्म,
होने पर नहीं आता, 
मन इस सफर से,
अब घबरा रहा है।

आ जाओ,
आ भी जाओ, 
कभी नदी किनारे बैठेंगे, 
कुछ तुम्हारी सुनेंगे, 
कुछ दिल की बात कह लेंगे, 
बहती धारा में मिल कर हाथ धो लेगें, 
कागज की कश्ती पर हो सवार, 
जिदंगी का सफर तय कर लेंगे।

दूर कहीं दूर चले जाएंगे,
फिर लौट कभी न आएगें,
फिर लौट कभी न आएगें।

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