कलम से ....
प्रकृति रंग विहीन हो जाएगी,
पशु पक्षी त्राहि त्राहि करने को विवश,
झरंनो की कल कल शांत हो जाएगी,
मानव विहीन मानवता तब कहाँ जाएगी ।
गीत कोई भ्रमर नहीं गाएगा,
पराग ले कोई तितली रंग न फैलाएगी,
धरा तब जीवन विहीन हो जाएगी ।
रुद्र नारायण को तब शृषटि रचियता रूप मे आना होगा,
समंपूणॆ धरा को पुनः नये रूप मे सवाँरना होगा । — with Ramaa Singh and 6 others.
प्रकृति रंग विहीन हो जाएगी,
पशु पक्षी त्राहि त्राहि करने को विवश,
झरंनो की कल कल शांत हो जाएगी,
मानव विहीन मानवता तब कहाँ जाएगी ।
गीत कोई भ्रमर नहीं गाएगा,
पराग ले कोई तितली रंग न फैलाएगी,
धरा तब जीवन विहीन हो जाएगी ।
रुद्र नारायण को तब शृषटि रचियता रूप मे आना होगा,
समंपूणॆ धरा को पुनः नये रूप मे सवाँरना होगा । — with Ramaa Singh and 6 others.
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