It was written before we embarked on our journey to Kullu Valley in Himanchal Pradesh and in anticipation to have gr8 fun and lovely times there. Our friendPuneet Chowdhary accompanied us on this outing. This poem is dedicated to him for identifying a wonderful place to stay and organizing this trip for us.
कलम से----
20-05-2014
दिन
कल का दिन,कलम से----
20-05-2014
दिन
हाँ कल का ही दिन तय हुआ था,
हम जाएगें,
जो कुछ खोया है,
उसे पुनः पाएगें।
कुछ क्षण अपनेपन के होंगे,
कुछ क्षण अशांत मन को शांत करने के होंगे,
कुछ क्षण भगवान के नाम होंगे।
जो भी होंगे अपने होगें।
न जाने कितने पहले तुमने,
मुझे छुआ था,
एक नया सा अहसास हुआ था,
मेरे नयनों मे झाँका था,
तब मैंने स्वयं को समझा था,
मेरे हाथों को अपने हाथों में लिया था,
उस क्षण के सुखद अनुभव मेरे जीवन के सुनहरे पल थे।
लम्बे अरसे के बाद,
हम इकदूजे को खोजेंगे,
अपने प्यार की इबारत रेत पर लिखेंगे।
हमारी यात्रा की,
हरी भरी वादियाँ और पहाड,
गवाह रहेगें।
— with आशीष कैलाश तिवारी and 19 others.हम जाएगें,
जो कुछ खोया है,
उसे पुनः पाएगें।
कुछ क्षण अपनेपन के होंगे,
कुछ क्षण अशांत मन को शांत करने के होंगे,
कुछ क्षण भगवान के नाम होंगे।
जो भी होंगे अपने होगें।
न जाने कितने पहले तुमने,
मुझे छुआ था,
एक नया सा अहसास हुआ था,
मेरे नयनों मे झाँका था,
तब मैंने स्वयं को समझा था,
मेरे हाथों को अपने हाथों में लिया था,
उस क्षण के सुखद अनुभव मेरे जीवन के सुनहरे पल थे।
लम्बे अरसे के बाद,
हम इकदूजे को खोजेंगे,
अपने प्यार की इबारत रेत पर लिखेंगे।
हमारी यात्रा की,
हरी भरी वादियाँ और पहाड,
गवाह रहेगें।

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