SP Tripathi commented today on one my post:
'मुझे ज़रा भी झिझक नहीं हो रही है कि जीवन की मजबूरियाो ने आप सभी के इस प्रतिभा को पीछे कर दिया था जब हम सभी साथ साथ थे । हम आज के वक़्त के शुक्रगुज़ार है कि आपकी प्रतिभा उजागर हो गई है और हमें ख़ुशी का माहौल दे रही है ।'
I have very humble reply thorough this poem and this one is dedicated to my dearest friend SP Tripathi:
कलम से ....
प्रतिभा कहाँ थी?
बोझ तले दबी थी,
बुझी पड़ी थी,
दिया जलाने को,
लौ की आवश्यकता होती है,
बस लौ दिखा दी,
दिये के जलते ही,
प्रकाश हो गया ।
जो बुझा-बुझा था
फिर जी गया ।
पौ से अंधकार होने तक,
घोड़े बस दौड़ते रहते है,
हाँढी मे कुछ न कुछ,
पकता रहता है,
जब अच्छा कुछ पक जाता है,
मुलम्मा चढाके परोसा जाता है,
किसी को पसंद,
किसी को पसंद नहीं आता है।
ऐक जमाने मे तो,
बतॆन सोने-चाँदी के होते थे,
अब तो यह सब,
डिजिटल फामॆ मे,
एफ बी पर,
परोसा जाता है।
पुराने कुछ लोग,
अभी भी वाह-वाह करते है,
कुछ नये लाइक करते है,
कुछ और कमेन्टस लिख,
दिल खुश करते है,
कुछ दिलजले पढ कर भी,
कुछ नहीं करते है।
हम सभी का शुक्रिया अदा करते है,
कहते है,
खुश रहो अहलेवतन हम तो, सफर करते है।
कीमती समय के लिऐ धन्यवाद करते है। — with आशीष कैलाश तिवारी and 19 others.
'मुझे ज़रा भी झिझक नहीं हो रही है कि जीवन की मजबूरियाो ने आप सभी के इस प्रतिभा को पीछे कर दिया था जब हम सभी साथ साथ थे । हम आज के वक़्त के शुक्रगुज़ार है कि आपकी प्रतिभा उजागर हो गई है और हमें ख़ुशी का माहौल दे रही है ।'
I have very humble reply thorough this poem and this one is dedicated to my dearest friend SP Tripathi:
कलम से ....
प्रतिभा कहाँ थी?
बोझ तले दबी थी,
बुझी पड़ी थी,
दिया जलाने को,
लौ की आवश्यकता होती है,
बस लौ दिखा दी,
दिये के जलते ही,
प्रकाश हो गया ।
जो बुझा-बुझा था
फिर जी गया ।
पौ से अंधकार होने तक,
घोड़े बस दौड़ते रहते है,
हाँढी मे कुछ न कुछ,
पकता रहता है,
जब अच्छा कुछ पक जाता है,
मुलम्मा चढाके परोसा जाता है,
किसी को पसंद,
किसी को पसंद नहीं आता है।
ऐक जमाने मे तो,
बतॆन सोने-चाँदी के होते थे,
अब तो यह सब,
डिजिटल फामॆ मे,
एफ बी पर,
परोसा जाता है।
पुराने कुछ लोग,
अभी भी वाह-वाह करते है,
कुछ नये लाइक करते है,
कुछ और कमेन्टस लिख,
दिल खुश करते है,
कुछ दिलजले पढ कर भी,
कुछ नहीं करते है।
हम सभी का शुक्रिया अदा करते है,
कहते है,
खुश रहो अहलेवतन हम तो, सफर करते है।
कीमती समय के लिऐ धन्यवाद करते है। — with आशीष कैलाश तिवारी and 19 others.
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