कलम से _ _ _ _
ऊँची ऊँची
अट्टालिकायें
ऊँचे लोग
ऊँची उडान की तमन्ना
ऊँचे और ऊँचे जाने का लक्ष्य
पक्षी भी तो यही करते हैं
थक जाते हैं
घोंसले पर उड वापस आ जाते हैं
निगाह नीची कर ऊचाईयों को भांप लेते हैं
ऊँचे लोगों की निगाह नीची होती है
तो नजरों में गिर जाते हैं।
गिरकर भी
उन्हें जमीन से जुडा इंसा नजर नहीं आता है
गिरे हुए को उठाना तो दूर
इन्हें सहारा देना भी नहीं भाता है।
कैसे दूर होंगी विषमताएं समाज की
यहाँ इनसान को इनसान नजर नहीं आता है।
//surendrapal singh//
07212014
http://1945spsingh.blogspot.in/2014/07/blog-post.html
and
http://spsinghamaur.blogspot.in/
ऊँची ऊँची
अट्टालिकायें
ऊँचे लोग
ऊँची उडान की तमन्ना
ऊँचे और ऊँचे जाने का लक्ष्य
पक्षी भी तो यही करते हैं
थक जाते हैं
घोंसले पर उड वापस आ जाते हैं
निगाह नीची कर ऊचाईयों को भांप लेते हैं
ऊँचे लोगों की निगाह नीची होती है
तो नजरों में गिर जाते हैं।
गिरकर भी
उन्हें जमीन से जुडा इंसा नजर नहीं आता है
गिरे हुए को उठाना तो दूर
इन्हें सहारा देना भी नहीं भाता है।
कैसे दूर होंगी विषमताएं समाज की
यहाँ इनसान को इनसान नजर नहीं आता है।
//surendrapal singh//
07212014
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Society is fast degrading and hardly any takers of the poor and destitute.
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