Sunday, July 13, 2014

मुझे कुछ कहने दो, बहुत घुटन लग रही है, मुझे कुछ कह लेने दो।

We often fail to communicate n gets into conflict zone. Simple message of the poem is that keep channels of communication 'ON'. That's it..........

कलम से ....

मुझे कुछ कहने दो,
बहुत घुटन लग रही है,
मुझे कुछ कह लेने दो।

सागर मे जैसे तूफान,
मरु मे जैसे अधंड,
उडता रेगिस्तान,
हाडीँ मे उबाल,
बस ऐसा है,
कुछ मेरा हाल।

मुझे कुछ कहने दो,
बहुत घुटन लग रही है,
मुछे कुछ कह लेने दो।

आओ पास बैठो,
दूर मत भागो,
कहने दो मुझे,
अपने दिल की बात,
मुझे बहुत कुछ कहना है,
लो सुनो,
मेरे भीतर की बात,
सबसे पहले आओ,
रखो मेरे सीने पर अपना हाथ,
सुनो, अब मेरे दिल की बात ।

(.......
........)

देखो कितनी राहत मे हूँ,
कह कर अपनी बात,
दिल की धड़कन भी, देती मेरा साथ,
सब कुछ कह दिया,
तुमने सब सुन लिया,
रक्खी मेरी बात,
प्रसन्न हुई, मै कर के तुम से बात।

बस ऐसे ही सुन लिया करो
यदाकदा, मेरे मन की बात.......
 — with आशीष कैलाश तिवारी and 19 others.
Photo: We often fail to communicate n gets into conflict zone. Simple message of the poem is that keep channels of communication 'ON'. That's it..........

कलम से ....

मुझे कुछ कहने दो,
बहुत घुटन लग रही है,
मुझे कुछ कह लेने दो।

सागर मे जैसे तूफान,
मरु मे जैसे अधंड,
उडता रेगिस्तान, 
हाडीँ मे उबाल,
बस ऐसा है,
कुछ मेरा हाल।

मुझे कुछ कहने दो,
बहुत घुटन लग रही है,
मुछे कुछ कह लेने दो।

आओ पास बैठो,
दूर मत भागो,
कहने दो मुझे,
अपने दिल की बात,
मुझे बहुत कुछ कहना है,
लो सुनो,
मेरे भीतर की बात,
सबसे पहले आओ,
रखो मेरे सीने पर अपना हाथ,
सुनो, अब मेरे दिल की बात ।

(.......
                           ........)

देखो कितनी राहत मे हूँ,
कह कर अपनी बात,
दिल की धड़कन भी, देती मेरा साथ,
सब कुछ कह दिया,
तुमने सब सुन लिया,
रक्खी मेरी बात,
प्रसन्न हुई, मै कर के तुम से बात।

बस ऐसे ही सुन लिया करो
यदाकदा, मेरे मन की बात.......

No comments:

Post a Comment