कलम से _ _ _ _
दुश्मनों में भी हम दोस्त ढूढं लिया करते हैं,
गलतियों को माफ कर हम जिया किया करते हैं।
गुलाब काँटों के बीच खिलता है, यह सब जानते हैं,
कांटों से बच के हम गुलाब चुना करते हैं।
कहते है कि कमल कीचड़ में हुआ करते हैं,
हम हुस्न को निगाहों में बसा के रहते हैं।
इंसान के बीच इंसान और हैवान हुआ करते हैं,
निगाहों में हमारी इंसान नहीं खुदा भी बसा करते हैं।
//surendrapal singh//
07192014
http://1945spsingh.blogspot.in/2014/07/blog-post.html
and
http://spsinghamaur.blogspot.in/ — with आशीष कैलाश तिवारी and 48 others.
दुश्मनों में भी हम दोस्त ढूढं लिया करते हैं,
गलतियों को माफ कर हम जिया किया करते हैं।
गुलाब काँटों के बीच खिलता है, यह सब जानते हैं,
कांटों से बच के हम गुलाब चुना करते हैं।
कहते है कि कमल कीचड़ में हुआ करते हैं,
हम हुस्न को निगाहों में बसा के रहते हैं।
इंसान के बीच इंसान और हैवान हुआ करते हैं,
निगाहों में हमारी इंसान नहीं खुदा भी बसा करते हैं।
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