सुप्रभात मित्रवर।
27-07-2014
जब अधंकार गहराया हो
भोर दिखाई देती न हो
तब तुम आना मेरे पास प्रिये
छण दो विश्राम कर फिर बढ़ जाना प्रिये।
पर्वत श्रृंखला अपने देश की सर्वोपरि हैं
हरी भरी नदियों की जन्म स्थान बनी हुई हैं
शुभ्र धवल हिम यहां बसती है
बयार बंसती बहती है।
मैं जब जब भटका हूँ
राह नयी मुझे यहाँ मिली है।
रविवार की भोर आप सभी मित्रों को आनंदित करे, इसी कामना के साथ। शुभ दिन। — withPuneet Chowdhary.
जब अधंकार गहराया हो
भोर दिखाई देती न हो
तब तुम आना मेरे पास प्रिये
छण दो विश्राम कर फिर बढ़ जाना प्रिये।
पर्वत श्रृंखला अपने देश की सर्वोपरि हैं
हरी भरी नदियों की जन्म स्थान बनी हुई हैं
शुभ्र धवल हिम यहां बसती है
बयार बंसती बहती है।
मैं जब जब भटका हूँ
राह नयी मुझे यहाँ मिली है।
रविवार की भोर आप सभी मित्रों को आनंदित करे, इसी कामना के साथ। शुभ दिन। — withPuneet Chowdhary.
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