कलम से _ _ _ _
15th July, 2014
15th July, 2014
सो लेने दे मुझे आज अपने पास,
गुजरे दिनों से आंख बिलकुल लगी नहीं है,
आँचल के तेरी बात और है,
खाने को भी पूछा किसी ने नहीं है,
पल दो पल रुकूगां,
फिर निकल पडूगां,
मंजिल बहुत दूर है,
मुझे जाना जहाँ है।
गुजरे दिनों से आंख बिलकुल लगी नहीं है,
आँचल के तेरी बात और है,
खाने को भी पूछा किसी ने नहीं है,
पल दो पल रुकूगां,
फिर निकल पडूगां,
मंजिल बहुत दूर है,
मुझे जाना जहाँ है।
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