Camp: Castle Naggar, Naggar
Himanchal Pradesh
21st May, 2014
कलम से ......
इतिहास जीते हैं।
निर्जीव होकर नहीं
सजीव होकर
इतिहास को जीते हैं।
बहुत दिनों से चर्चा थी
कहीं न कहीं चले
मौसम यहां गरम हो रहा है
चलो हिमाचल चलते हैं
तय हो गया
चलो वहीं चलते हैं।
खोज की तो
पता लगा कि एक ऐसी जगह है
जहां चलते हैं
वहीं चलके
इतिहास जीते हैं।
नागर कैसल
हम आखिर आ ही गए
कितनी खूबसूरत
इमारत रही होगी
अपने शबाब पर
कुल्लू के महाराजा का महल
आज भी एक कशिश है
यहाँ की फिजाओं मे
लकडी के छज्जे
उन पर नक्काशी का काम
सोट पर टिकी छतें
लकडी के मेहराब
ऊपर के लिए भी लकडी के जीने
जीने के लिहाज में जीने
उम्मीद के परे
सैकडों साल पुराने अंदाज
के जीने बेमिसाल जीने के हिसाब जीने
कम पड जाएगा
कुछ भी कहना
इतिहास को दुबारा जीने पर
बस
निर्जीव होकर नहीं
सजीव होकर
इतिहास को जी लें।
कुछ लम्हे इतिहास के
जीने के बाद
आज हमारी रुखसती
का दिन है
नागर कैसल से फिर
अपने घर की ओर
चलने का दिन है।
इतिहास हमने जिया है
फिर एकबार आने के बायदे
पर विदा इतिहास से ले रहे हैं। — with Ram Saran Singh and 20 others.
Himanchal Pradesh
21st May, 2014
कलम से ......
इतिहास जीते हैं।
निर्जीव होकर नहीं
सजीव होकर
इतिहास को जीते हैं।
बहुत दिनों से चर्चा थी
कहीं न कहीं चले
मौसम यहां गरम हो रहा है
चलो हिमाचल चलते हैं
तय हो गया
चलो वहीं चलते हैं।
खोज की तो
पता लगा कि एक ऐसी जगह है
जहां चलते हैं
वहीं चलके
इतिहास जीते हैं।
नागर कैसल
हम आखिर आ ही गए
कितनी खूबसूरत
इमारत रही होगी
अपने शबाब पर
कुल्लू के महाराजा का महल
आज भी एक कशिश है
यहाँ की फिजाओं मे
लकडी के छज्जे
उन पर नक्काशी का काम
सोट पर टिकी छतें
लकडी के मेहराब
ऊपर के लिए भी लकडी के जीने
जीने के लिहाज में जीने
उम्मीद के परे
सैकडों साल पुराने अंदाज
के जीने बेमिसाल जीने के हिसाब जीने
कम पड जाएगा
कुछ भी कहना
इतिहास को दुबारा जीने पर
बस
निर्जीव होकर नहीं
सजीव होकर
इतिहास को जी लें।
कुछ लम्हे इतिहास के
जीने के बाद
आज हमारी रुखसती
का दिन है
नागर कैसल से फिर
अपने घर की ओर
चलने का दिन है।
इतिहास हमने जिया है
फिर एकबार आने के बायदे
पर विदा इतिहास से ले रहे हैं। — with Ram Saran Singh and 20 others.

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