कलम से----
18-05-2014
याद है तुम्हें वो बचपन की बातें,
माचिस की डिबिया का टेलीफोन,
धागे से जोडा था,
हमने वो टेलीफोन,
करता था,
हमें जोडने का जो काम,
हमारी तुम्हारी बीच की वो लम्बी बातें,
और वो टेलीफोन।
सत गुट्टे का खेल,
छपाक से चिपकती थी,
पीठ पै वो किरमिच की गेंद,
कंचौ को गुच्ची मे फैकना,
पैसों की खनखनाहट,
सिल्ली से बना रंगीन बर्फ का गोला,
बुढिया के रंग बिरंगे बाल,
कागज की कश्ती और हवाई जहाज,
तुम्हरा वो रस्सी कूदना,
और भी न जाने वो बचपन के खेल,
याद है तुम्हें वो बचपन की बातें------
सर्दियों के दिनों,
धूप सेकना,
सर्दी जब लगे,
भाग के भीतर आना,
रजाई में घुस जाना,
बोलो तुम्हे कुछ याद है,
कुछ याद है।
याद है तुम्हें वो बचपन की बातें-----
अगर नहीं याद आता है तुमको,
बोलो चलोगी क्या तुम साथ मेरे,
चलो खेलें वो बचपन के खेल,
जीले हंसले और रोले,
रोते रोते जीले,
हंसते हंसते रोले और खेलें,
वो बचपन के दिन,
याद है तुम्हें वो बचपन की बातें---- — with आशीष कैलाश तिवारी and 34 others.
18-05-2014
याद है तुम्हें वो बचपन की बातें,
माचिस की डिबिया का टेलीफोन,
धागे से जोडा था,
हमने वो टेलीफोन,
करता था,
हमें जोडने का जो काम,
हमारी तुम्हारी बीच की वो लम्बी बातें,
और वो टेलीफोन।
सत गुट्टे का खेल,
छपाक से चिपकती थी,
पीठ पै वो किरमिच की गेंद,
कंचौ को गुच्ची मे फैकना,
पैसों की खनखनाहट,
सिल्ली से बना रंगीन बर्फ का गोला,
बुढिया के रंग बिरंगे बाल,
कागज की कश्ती और हवाई जहाज,
तुम्हरा वो रस्सी कूदना,
और भी न जाने वो बचपन के खेल,
याद है तुम्हें वो बचपन की बातें------
सर्दियों के दिनों,
धूप सेकना,
सर्दी जब लगे,
भाग के भीतर आना,
रजाई में घुस जाना,
बोलो तुम्हे कुछ याद है,
कुछ याद है।
याद है तुम्हें वो बचपन की बातें-----
अगर नहीं याद आता है तुमको,
बोलो चलोगी क्या तुम साथ मेरे,
चलो खेलें वो बचपन के खेल,
जीले हंसले और रोले,
रोते रोते जीले,
हंसते हंसते रोले और खेलें,
वो बचपन के दिन,
याद है तुम्हें वो बचपन की बातें---- — with आशीष कैलाश तिवारी and 34 others.
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