Good morning friends.
सुप्रभात मित्रों।
08 01 2014
मैं राह भटक
कल कुछ समय को
रुक गया था
यहाँ
तभी बरस गया था
उमस भरी शाम
छोड गया था।
आसुओं को बहते देखा
मालिन में पहाड खिसकते देखा
देखा है सैकडों को दबे हुए
हर जगह तबाही के
मंजर को पसरे हुए
देखा है कुछ ऐसा
जो दुबारा देखना न पडे।
कल देर रात
बादल क्या फटा
दो चार जिंदगियां साथ ले गया
किसी का घर लुट गया
कोई बेसबब ही मर गया।
क्यों ऐसै आते हो
अपने पीछे ये कहानियां
छोड जाते हो
अरे आओ थोडा सुस्ताओ
किसी का गम बांटो
किसी को सहलाओ
जिनकी आँखें नम हैं
तसल्ली दे जाओ
कुछ बहुत प्यासे बैठे हैं
उन्हैं थोडा पानी पिला जाओ
जो आकाश को निहार रहे हैं
ऊनके आंगन बरस जाओ
कितनी उम्मीद रहती है
आस तुमसे बंधी रहती है
अब और बस न यूँ ही तडपाओ
जहां जितनी जरूरत है
बस उतने बरस जाओ।
सुप्रभात मित्रों।
08 01 2014
मैं राह भटक
कल कुछ समय को
रुक गया था
यहाँ
तभी बरस गया था
उमस भरी शाम
छोड गया था।
आसुओं को बहते देखा
मालिन में पहाड खिसकते देखा
देखा है सैकडों को दबे हुए
हर जगह तबाही के
मंजर को पसरे हुए
देखा है कुछ ऐसा
जो दुबारा देखना न पडे।
कल देर रात
बादल क्या फटा
दो चार जिंदगियां साथ ले गया
किसी का घर लुट गया
कोई बेसबब ही मर गया।
क्यों ऐसै आते हो
अपने पीछे ये कहानियां
छोड जाते हो
अरे आओ थोडा सुस्ताओ
किसी का गम बांटो
किसी को सहलाओ
जिनकी आँखें नम हैं
तसल्ली दे जाओ
कुछ बहुत प्यासे बैठे हैं
उन्हैं थोडा पानी पिला जाओ
जो आकाश को निहार रहे हैं
ऊनके आंगन बरस जाओ
कितनी उम्मीद रहती है
आस तुमसे बंधी रहती है
अब और बस न यूँ ही तडपाओ
जहां जितनी जरूरत है
बस उतने बरस जाओ।
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