कलम से....
'एल नीनो' कमजोर मानसून का और 'एल नीना' अधिक मानसून को बतलाए ऐसा मौसम वैगयानिक कहते है। हस साल होगा 'एल नीनो' ऐसा अंदेशा है।
'एल नीनो' का,
अब की बार,
छा जाएगा,
कुछ ऐसा,
अंधकार,
प्रकाश रहित,
होगी धरा,
खेतों की हरियाली,
नहीं रहेगी मतवाली,
गरीब करेगा महसूस,
ठगाठगा सा,
किसान कुछ बिकाबिका सा,
पोखर खाली,
पौकेट खाली,
जीवन हककावकका सा।
न आयेगा सावन,
न बदरा छाऐगे,
नबोलेगी कोयल,
न नाचेगा मोर,
जब बारिश का मौसम,
खाली रह जाएगा,
तब मन कैसे मूसकाएगा।
ऐसा होगा कुछ वैसा होगा,
अंतर्मन बुझा बुझा सा होगा,
भारत अपना सूना होगा,
उनका सपना सपना होगा,
बाकी सबको तो मरना होगा।
वो आ रह है, आये,
कौन मना करता है,
स्वागत करने योग्य नही अब,
कैसे उनहै समझाऐ,
मार दिया जब हमको,
तब खुशियों का संसार कहाँ सजाये।
मै टूटा वो भी टूटे,
टूटे सारे सपने,
मनवा रूठा,
रूठे सभी अपने । — with BN Pandey and 12 others.
'एल नीनो' कमजोर मानसून का और 'एल नीना' अधिक मानसून को बतलाए ऐसा मौसम वैगयानिक कहते है। हस साल होगा 'एल नीनो' ऐसा अंदेशा है।
'एल नीनो' का,
अब की बार,
छा जाएगा,
कुछ ऐसा,
अंधकार,
प्रकाश रहित,
होगी धरा,
खेतों की हरियाली,
नहीं रहेगी मतवाली,
गरीब करेगा महसूस,
ठगाठगा सा,
किसान कुछ बिकाबिका सा,
पोखर खाली,
पौकेट खाली,
जीवन हककावकका सा।
न आयेगा सावन,
न बदरा छाऐगे,
नबोलेगी कोयल,
न नाचेगा मोर,
जब बारिश का मौसम,
खाली रह जाएगा,
तब मन कैसे मूसकाएगा।
ऐसा होगा कुछ वैसा होगा,
अंतर्मन बुझा बुझा सा होगा,
भारत अपना सूना होगा,
उनका सपना सपना होगा,
बाकी सबको तो मरना होगा।
वो आ रह है, आये,
कौन मना करता है,
स्वागत करने योग्य नही अब,
कैसे उनहै समझाऐ,
मार दिया जब हमको,
तब खुशियों का संसार कहाँ सजाये।
मै टूटा वो भी टूटे,
टूटे सारे सपने,
मनवा रूठा,
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