'सोने की तलाश', इस रचना का सूत्रधार एक चित्र बना जो कुछ रोज पहले ही मित्र चन्द्राकर ने पोस्ट किया था। मेरी यह भेंट उन्हीं को ।
कलम से ....
सोने की तलाश
सबको है,
कोई तलाशता
मरु मे,
कोई तलाशे
खान मे,
कोई तलाशे
मान सम्मान मे।
सोने की तलाश,
सबको रहती है ।
सोने को
तरसता कोई,
टूटी खटिया मे,
बेशकीमती बिस्तर मे,
महबूब के आगोश मे,
माँ की प्यारी गोद मे।
सोने की तलाश
सबको रहती है।
कोई सोने की
बात करता है,
चिरनिद्रा मे जाने की बात करता है,
हमेशा-हमेशा को सोने की बात करता है,
आखिर सोता वही है जो सोने की बात करता है।
क्योंकि,
सोने की तलाश,
यह मन हमेशा करता है। — with आशीष कैलाश तिवारी and 19 others.
कलम से ....
सोने की तलाश
सबको है,
कोई तलाशता
मरु मे,
कोई तलाशे
खान मे,
कोई तलाशे
मान सम्मान मे।
सोने की तलाश,
सबको रहती है ।
सोने को
तरसता कोई,
टूटी खटिया मे,
बेशकीमती बिस्तर मे,
महबूब के आगोश मे,
माँ की प्यारी गोद मे।
सोने की तलाश
सबको रहती है।
कोई सोने की
बात करता है,
चिरनिद्रा मे जाने की बात करता है,
हमेशा-हमेशा को सोने की बात करता है,
आखिर सोता वही है जो सोने की बात करता है।
क्योंकि,
सोने की तलाश,
यह मन हमेशा करता है। — with आशीष कैलाश तिवारी and 19 others.
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