Saturday, July 12, 2014

गुलशन में फूल ही फूल बिखरे पडे हैं

18-05-2014

गुलशन में फूल ही फूल बिखरे पडे हैं,
बागबां की निगाह में बहार आ गई है।
Photo: 18-05-2014

गुलशन में फूल ही फूल बिखरे पडे हैं, 
बागबां की निगाह में बहार आ गई है।
  • Rajani Bhardwaj aa gai ye to
  • S.p. Singh इतने सुंदर फूल आपकी नजरों से कैसे बच सकते हैं।
  • Ram Saran Singh Beauty lies in the eyes of beholders. याद करिए , जब सीताजी रावण के उपवन में क़ैद थीं उस समय उन्हें उपवन की शोभा में दारुण दुख दिखाई देता था । कहा है "नूतन किसल़य अनल समाना" पेंड़ की नई नई लाल पत्तियाँ उन्हें अग्नि के समान लगती थीं । यह हमारी मनोदशा पर है कि हम गुलशन को कैसे देखते हैं । लेकिन आपका वर्णन रेगिस्तान में नखलिस्तान पैदा कर देता है । यही तो काव्य कला है ।
  • S.p. Singh इतने सुंदर भाव को नमन। चार चाँद लगा देना शायद इसी कला को कहते हैं। धन्यवाद।

No comments:

Post a Comment