सुप्रभात मित्रों।
अब तो बादल भी करते परिहास
करते हमें उदास
कभी जाते दूर बहुत कभी आते पास
बरसने का नाम नहीं लेते
फिर भी अपने से लगते
कहते अब हम जाते फिर हम वापस आते
जब अबकी बार आएगें
अगिंया तेरी, तेरा आंगन तर कर जाएगें
अब न हो तू उदास।
इसी आस पर हम बैठे हैैं
दूरदराज से खबर आई है
वहाँ बाढ़ आई है
कैसी विषम स्थिति बनी है
कहीं आस लगी है
किसी की टूट रही है।
अब तो बादल भी करते परिहास
करते हमें उदास
कभी जाते दूर बहुत कभी आते पास
बरसने का नाम नहीं लेते
फिर भी अपने से लगते
कहते अब हम जाते फिर हम वापस आते
जब अबकी बार आएगें
अगिंया तेरी, तेरा आंगन तर कर जाएगें
अब न हो तू उदास।
इसी आस पर हम बैठे हैैं
दूरदराज से खबर आई है
वहाँ बाढ़ आई है
कैसी विषम स्थिति बनी है
कहीं आस लगी है
किसी की टूट रही है।
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