कलम से _ _ _ _
चम्पा के दो फूल।
दौ फूलन कै लयै सिगरें फिरे हैं,
बिने लैके मैं मंदिर आय गयो हूँ,
एक फूल अपने कनहाई कै लयै,
दूजौ राधा पियारी चढाय रयो हूँ।
चम्पा के फूल की गन्ध ऐसी चढी है,
मथुरा वृन्दावन नगरिया छानि लई है,
जायकें दौ फूल मुश्किलन सें मिले हैं,
चलत चलत पैरन में फफोले पडे हैं।
चम्पा की जि कहानी जबसें सुनी है
तबई से दिल के भीतर समाय गई है:-
’’चम्पा तुझमें तीन गुण-रंग रूप और वास,
अवगुण तुझमें एक ही भँवर न आयें पास,
रूप तेज तो राधिके, अरु भँवर कृष्ण को दास,
इस मर्यादा के लिये भँवर न आयें पास।"
राधे राधे कहने की मितवा लगी है आग,
बुझे न बुझे अब मैं रहूंगी सदा तेरे पास।
जय जय श्री राधे जय जय श्री गोपाल,
बना ले प्रभु मुझको तू अपना एक दास।।
//surendrapal singh//
07202014
http://1945spsingh.blogspot.in/2014/07/blog-post.html
and
http://spsinghamaur.blogspot.in/ — with Ramaa Singh and Puneet Chowdhary.
चम्पा के दो फूल।
दौ फूलन कै लयै सिगरें फिरे हैं,
बिने लैके मैं मंदिर आय गयो हूँ,
एक फूल अपने कनहाई कै लयै,
दूजौ राधा पियारी चढाय रयो हूँ।
चम्पा के फूल की गन्ध ऐसी चढी है,
मथुरा वृन्दावन नगरिया छानि लई है,
जायकें दौ फूल मुश्किलन सें मिले हैं,
चलत चलत पैरन में फफोले पडे हैं।
चम्पा की जि कहानी जबसें सुनी है
तबई से दिल के भीतर समाय गई है:-
’’चम्पा तुझमें तीन गुण-रंग रूप और वास,
अवगुण तुझमें एक ही भँवर न आयें पास,
रूप तेज तो राधिके, अरु भँवर कृष्ण को दास,
इस मर्यादा के लिये भँवर न आयें पास।"
राधे राधे कहने की मितवा लगी है आग,
बुझे न बुझे अब मैं रहूंगी सदा तेरे पास।
जय जय श्री राधे जय जय श्री गोपाल,
बना ले प्रभु मुझको तू अपना एक दास।।
//surendrapal singh//
07202014
http://1945spsingh.blogspot.in/2014/07/blog-post.html
and
http://spsinghamaur.blogspot.in/ — with Ramaa Singh and Puneet Chowdhary.
This poem brings out some of the little known fats about flower of Chamapa. Infact, this flower is considered to be the best offering to the God. In south India this flower is used in worship of Lord Vishnu and Ganesha.
ReplyDeleteHoney Bee will ever sit on this flower as it is known to be favorite of Radha and Krishna.
चम्पा तुझमें तीन गुण-रंग रूप और वास,
ReplyDeleteअवगुण तुझमें एक ही भँवर न आयें पास,
..बहुत सुन्दर ..
सुन्दर प्रस्तुति
कविता जी बहुत धन्यवाद।
Deleteचम्पा के वारे में जो मैं जानता हूँ उसे इस कविता के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है।
आपका बहुत बहुत धन्यवाद।
Deleteबहुत सुन्दर कालजयी रचना।
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद।शुक्रिया महोदय।
ReplyDelete