कलम से ....
कुछ ऐसा हो रहा है,
पहले जैसा कभी नहीं हुआ है,
मौसम बदल रहा है,
कभी सर्द, कभी गर्म,
कुछ ऐसा हो रहा है,
पहले जैसा कभी नहीं हुआ है।
अबके होली भी हो गई,
बसंत आया और चला गया,
पलाष खिले और सूख भी गये,
पत्ते सभी सूख गये, गिर गये,
नयी कोपल भी नहीं आई,
सर्दी है कि पीछा नहीं छोड़ रही,
कभी आती कभी जाती है,
मौसम बदल रहा है,
कुछ ऐसा हो रहा है,
जैसा पहले कभी नहीं हुआ है।
तुम न बदलना, न रूठना,
बस जैसी हो वैसे ही रहना,
तुम मेरी पहली पसंद हो,
होने दो जो हो रहा है,
मौसम बदल रहा है,
होने दो जो हो रहा है,
कुछ ऐसा हो रहा है,
जैसा पहले कभी नहीं हुआ है। — with Ramaa Singh.
कुछ ऐसा हो रहा है,
पहले जैसा कभी नहीं हुआ है,
मौसम बदल रहा है,
कभी सर्द, कभी गर्म,
कुछ ऐसा हो रहा है,
पहले जैसा कभी नहीं हुआ है।
अबके होली भी हो गई,
बसंत आया और चला गया,
पलाष खिले और सूख भी गये,
पत्ते सभी सूख गये, गिर गये,
नयी कोपल भी नहीं आई,
सर्दी है कि पीछा नहीं छोड़ रही,
कभी आती कभी जाती है,
मौसम बदल रहा है,
कुछ ऐसा हो रहा है,
जैसा पहले कभी नहीं हुआ है।
तुम न बदलना, न रूठना,
बस जैसी हो वैसे ही रहना,
तुम मेरी पहली पसंद हो,
होने दो जो हो रहा है,
मौसम बदल रहा है,
होने दो जो हो रहा है,
कुछ ऐसा हो रहा है,
जैसा पहले कभी नहीं हुआ है। — with Ramaa Singh.
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