कलम से:
पार्क मे----
जीवन के तीन रूप।
एक:
बुझी हुई दिए की बाती,
अंधकारमय, प्रकाश विहीन,
कुछ दिन और निकल जाए,
जीवन,
बस ऐसे ही कुछ और कट जाए ।
दो:
थका हारा सा,
लडने की हर कोशिश मे लीन,
दाना,पानी और घरोंदा
बनके रह गई है,
तपिश,
जीवन दो पाटों के बीच
पिसता जाए,
ऐसा कुछ इनका जीवन ।
तीन:
स्फूर्ति, आलोकित, स्पंदनशील,
उत्साहित, चलायमान
हर समय हो कुछ नूतन,
ऐसा इनका जीवन।
देखने को मिलते
दिन प्रतिदिन,
जीवन के ऐसे रूप
जीवन के ऐसे रूप--------
(Note: Life cycle is put in reverse order knowingly) — with Ram Saran Singhand 17 others.
पार्क मे----
जीवन के तीन रूप।
एक:
बुझी हुई दिए की बाती,
अंधकारमय, प्रकाश विहीन,
कुछ दिन और निकल जाए,
जीवन,
बस ऐसे ही कुछ और कट जाए ।
दो:
थका हारा सा,
लडने की हर कोशिश मे लीन,
दाना,पानी और घरोंदा
बनके रह गई है,
तपिश,
जीवन दो पाटों के बीच
पिसता जाए,
ऐसा कुछ इनका जीवन ।
तीन:
स्फूर्ति, आलोकित, स्पंदनशील,
उत्साहित, चलायमान
हर समय हो कुछ नूतन,
ऐसा इनका जीवन।
देखने को मिलते
दिन प्रतिदिन,
जीवन के ऐसे रूप
जीवन के ऐसे रूप--------
(Note: Life cycle is put in reverse order knowingly) — with Ram Saran Singhand 17 others.
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