दिन गुजरा फिर तोला माशा,
साँझ उतर गयी जीना-जीना
सूरज डूबा फिर लहर-लहर,
चाँद फलक पर फिर तनहा -तनहा,
फिर तारे चमके झिलमिल -झिलमिल,
फिर नींद न आई करवट -करवट,
जागी रात फिर सुबह तलक,
फिर जीवन बीता साँस-साँस,
मन फिर हुआ बेघर बँजारा — with S.p. Singh.
साँझ उतर गयी जीना-जीना
सूरज डूबा फिर लहर-लहर,
चाँद फलक पर फिर तनहा -तनहा,
फिर तारे चमके झिलमिल -झिलमिल,
फिर नींद न आई करवट -करवट,
जागी रात फिर सुबह तलक,
फिर जीवन बीता साँस-साँस,
मन फिर हुआ बेघर बँजारा — with S.p. Singh.
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