कलम से ....
संध्या
हो गयी है,
निमंत्रण
नहीं आया,
इंतजार
कुछ और करना होगा,
चाँदनी रात को,
कुछ देर और ठहरना होगा ।
जुगनू
मेरे आगे-पीछे,
घूम-घूम,
कुछ कहने
का प्रयास कर रहे है,
खुद-ब-खुद
उनके मेरे आलिगनपाश
मे आने का उदघोष कर रहे है ।
रात्रि पहर
यूही न बीत जाए,
आओ हम इस मिलन की
बेला को समृतियौ मे सजा ले,
कल अपना कैसा होगा,
ऊसे संजोले............ — with आशीष कैलाश तिवारी and 19 others.
संध्या
हो गयी है,
निमंत्रण
नहीं आया,
इंतजार
कुछ और करना होगा,
चाँदनी रात को,
कुछ देर और ठहरना होगा ।
जुगनू
मेरे आगे-पीछे,
घूम-घूम,
कुछ कहने
का प्रयास कर रहे है,
खुद-ब-खुद
उनके मेरे आलिगनपाश
मे आने का उदघोष कर रहे है ।
रात्रि पहर
यूही न बीत जाए,
आओ हम इस मिलन की
बेला को समृतियौ मे सजा ले,
कल अपना कैसा होगा,
ऊसे संजोले............ — with आशीष कैलाश तिवारी and 19 others.
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