कलम से _ _ _ _
राधिके सुन लेउ हमारी एक बात,
तू डाल कदम्ब की हम हैं उसके पात।
बोलो कन्हाई बोलो उर तिहारे क्या है
बाहर आने को क्यों जो इतना तडप रहा है।
राधे सुन वाँसुरी जब जब अधर धरी है
तब तब सीने में तिहारे आग लगी है।
हाँ, तू बिलकुल सही अपनी कह रहो है
होत पीर कलेजे तू जब बंसी अधर धरे है।
सुन राधे राग रागनियाँ सब तुझसें है
तू ही तो है लाडली मेरे जो अधर सजी है।
तू ही तो है राधिके जो म्हारे हिबडे बसी है
तेरे रूप रंग सों ही राधे मैं जानो जाऊँगो
तू जब जब पुकारेगी भाजौ चलो आऊगों
नाराज न हो सखी जी धर लयो यह बात ।
//surendrapal singh//
07282014
http://1945spsingh.blogspot.in/
and
http://spsinghamaur.blogspot.in/ — with Puneet Chowdhary.
राधिके सुन लेउ हमारी एक बात,
तू डाल कदम्ब की हम हैं उसके पात।
बोलो कन्हाई बोलो उर तिहारे क्या है
बाहर आने को क्यों जो इतना तडप रहा है।
राधे सुन वाँसुरी जब जब अधर धरी है
तब तब सीने में तिहारे आग लगी है।
हाँ, तू बिलकुल सही अपनी कह रहो है
होत पीर कलेजे तू जब बंसी अधर धरे है।
सुन राधे राग रागनियाँ सब तुझसें है
तू ही तो है लाडली मेरे जो अधर सजी है।
तू ही तो है राधिके जो म्हारे हिबडे बसी है
तेरे रूप रंग सों ही राधे मैं जानो जाऊँगो
तू जब जब पुकारेगी भाजौ चलो आऊगों
नाराज न हो सखी जी धर लयो यह बात ।
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बहुत सुन्दर मनभान प्रस्तुति।
ReplyDeleteमनभावन प्रस्तुति।
ReplyDeleteधन्यवाद आपके प्रोत्साहन के लिए।
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