कलम से _ _ _ _
सुप्रभात दोस्तों।
छितरे छितरे से बिखरे हैं
यहाँ वहाँ बिखरे से पडे हैं
जब मिल बैठेगें तब बरसेंगे
तब तक यह मनुआ तरसेंगें। — with Puneet Chowdhary.
छितरे छितरे से बिखरे हैं
यहाँ वहाँ बिखरे से पडे हैं
जब मिल बैठेगें तब बरसेंगे
तब तक यह मनुआ तरसेंगें। — with Puneet Chowdhary.
//surendrapal singh//
07232014
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