कलम से ....
हर रात चाँद
नदिया मे उतर आता है
मन को दूर कहीं ले जाता है....
लगता है जैसे
कोई मललाह नदी के साज पे गीत गाता है,
हवाऔ के झकोलौ पे तुम्हारा शरीर मेरी बाँहो मे झूल जाता है,
कुछ ऐसा ताना-बाना खयालात मे उभरता जाता है ।
नदिया के इस पार.....
एक गुजरा हुआ जमाना है,
जहाँ जिंदगी रफता-रफता चलती रहती है,
सुकून है फिजाऔ मे मस्ती है,
वो भगदड से दूर मोहब्बत है,
जो हरपल जिंदा रहती है,
लगता है जिंदगी यहीं बसती और रहती है।
नदिया के उस पार.....
कुछ हो रहा है
एक शहर नया बस रहा है
नये लोगों के लिए हर चीज नयी होगी एसा लग रहा है,
चौड़ी-चौड़ी सडके,
ऊँचे-ऊँचे बंगले,
सजे-धजे रोशन बाजार,
सब कुछ तो नया नया सा है,
कहीं पर किसी का कुछ खो गया है,
सब बिकता है सब मिलता है,
बस एक मोहब्बत भरा दिल नहीं मिलता है।
नदिया के इस पार,
नदिया के उस पार,
लोगों का जहाँ बस रहा है। — with Rajani Bhardwaj and 11 others.
हर रात चाँद
नदिया मे उतर आता है
मन को दूर कहीं ले जाता है....
लगता है जैसे
कोई मललाह नदी के साज पे गीत गाता है,
हवाऔ के झकोलौ पे तुम्हारा शरीर मेरी बाँहो मे झूल जाता है,
कुछ ऐसा ताना-बाना खयालात मे उभरता जाता है ।
नदिया के इस पार.....
एक गुजरा हुआ जमाना है,
जहाँ जिंदगी रफता-रफता चलती रहती है,
सुकून है फिजाऔ मे मस्ती है,
वो भगदड से दूर मोहब्बत है,
जो हरपल जिंदा रहती है,
लगता है जिंदगी यहीं बसती और रहती है।
नदिया के उस पार.....
कुछ हो रहा है
एक शहर नया बस रहा है
नये लोगों के लिए हर चीज नयी होगी एसा लग रहा है,
चौड़ी-चौड़ी सडके,
ऊँचे-ऊँचे बंगले,
सजे-धजे रोशन बाजार,
सब कुछ तो नया नया सा है,
कहीं पर किसी का कुछ खो गया है,
सब बिकता है सब मिलता है,
बस एक मोहब्बत भरा दिल नहीं मिलता है।
नदिया के इस पार,
नदिया के उस पार,
लोगों का जहाँ बस रहा है। — with Rajani Bhardwaj and 11 others.
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