Saturday, July 12, 2014

Three Poems at the request of Snri Chaddha Ji

कलम से____

21st June, 2014

(Specially for Chadda ji, my old colleague of ITILtd., on his request. You requested one but I am posting three poems for you as desired. You select which one suits you.)

कविता नम्बर 1

कैसे करते हो मोहब्बत को बयां चंद लफ्जों में,

घुटनों पर झुकके हाथ ही नहीं साथ मागता हूँ मैं,
तेरी गरम सासों के मर्म का अहसास है मुझे,
तेरी हर आह पर निकलती है जान मेरी,
तेरे इन सुर्ख लवों छूने को बेकरार हूँ मैं,
तेरी हर अदा पर कुरबान हूँ मैं,
हालात जब यहां तक जा है पहुंचे,
एक तुम हो जो पूछते हो मुझसे,
क्या मुझे मोहब्बत है तुमसे,
मैं आज कहता हूँ है मुझे मोहब्बत तुमसे।

ऐसे करता हूं वयां मैं अपनी मोहब्बत को चंद लफ्जों में।

कविता नम्बर 2

कहते कहते, वह जवां पर आ ही गया,
इजहारे मोहब्बत यूं हो गया ।
चंद अल्फाजों ने वह काम कर दिया,
जो नजरें चार होने से भी न हुआ।

कौन कहता है,
होता है आसां बहुत, इजहारे मोहब्बत का,
चंद अलफाज, निगाहों ने निगाहों से कह दिए,
यूं, इजहारे मोहब्बत हो गया ।

चले दूर आते हैं, मेरे कहने भर से,
इतना ऐतबार, उन्हें मुझपे हो गया,
दुआ मांगता हूं, मैं खुदा से,
न टूटे रिश्ता, जो हमारे बीच बन गया।

कौन कहता है, था इतना आसां,
इजहारे मोहब्बत, बडी मुश्किल से हुआ।

कविता नम्बर 3

कौन कहता है कि इजहारे मोहब्बत आसां होती है,
मैं तो रोज मिलता हूँ फिर भी आखं नहीं मिलती है।

नजर नजर से मिले जिस दिन और नजर झुक जाये,
समझ लेना उस दिन तुमसे मोहब्बत हो गई है उसे।

जान ले यह कि मोहब्बत हौले हौले जवां होती है,
इजहारे मोहब्बत लफ्जों में नहीं नजरों से बयां होती है।

चंद अल्फाज क्या करेंगे जो एक नजर करती है,
कौन कहता है कि इजहारे मोहब्बत आसां होती है।

चांद जब संगमरमरी लिवास में धीरे से जमीन पर उतरे,
उनके आने जाने का सबब न कोई मुझसे पूछे,
पहलू में हों वह बैठे निहारते हुए भीगी नजरों से,
कह दूँगा कि बेपनाह मोहब्बत है मुझे उनसे,
ऐसे हो जाएगी इजहारे मोहब्बत बयां मुझसे,
उलझन में हूं सोचता हूँ हर रोज मैं कहूँगा कैसे,
डर है कि कहने से बात बिगड न जाय कहीं, कैसे कह दूँ कि हो गई तुमसे मोहब्बत है मुझे,
उलझन है कि बडती जाए है ये न हो पाएगा मुझसे,
कौन कहता है कि इजहारे मोहब्बत आसां होती है।
 — with आशीष कैलाश तिवारी and 48 others.
Photo: कलम से____

21st June, 2014

(Specially for Chadda ji, my old colleague of ITILtd., on his request. You requested one but I am posting three poems for you as desired.  You select which one suits you.)

कविता नम्बर 1

कैसे करते हो मोहब्बत को बयां चंद लफ्जों में,  

घुटनों पर झुकके हाथ ही नहीं साथ मागता हूँ मैं,
तेरी गरम सासों के मर्म का अहसास है मुझे,
तेरी हर आह पर निकलती है जान मेरी,
तेरे इन सुर्ख लवों छूने को बेकरार हूँ मैं,
तेरी हर अदा पर कुरबान हूँ मैं, 
हालात जब यहां तक जा है पहुंचे, 
एक तुम हो जो पूछते हो मुझसे,
क्या मुझे मोहब्बत है तुमसे,
मैं आज कहता हूँ है मुझे मोहब्बत तुमसे।

ऐसे करता हूं वयां मैं अपनी मोहब्बत को चंद लफ्जों में।

कविता नम्बर 2

कहते कहते, वह जवां पर आ ही गया, 
इजहारे मोहब्बत यूं हो गया ।
चंद अल्फाजों ने वह काम कर दिया,
जो नजरें चार होने से भी न हुआ।

कौन कहता है, 
होता है आसां बहुत, इजहारे मोहब्बत का,
चंद अलफाज, निगाहों ने निगाहों से कह दिए,
यूं, इजहारे मोहब्बत हो गया ।

चले दूर आते हैं, मेरे कहने भर से,
इतना ऐतबार, उन्हें मुझपे हो गया, 
दुआ मांगता हूं, मैं खुदा से,
न टूटे रिश्ता, जो हमारे बीच बन गया।

कौन कहता है, था इतना आसां,
इजहारे मोहब्बत, बडी मुश्किल से हुआ।

कविता नम्बर 3

कौन कहता है कि इजहारे मोहब्बत आसां होती है, 
मैं तो रोज मिलता हूँ फिर भी आखं नहीं मिलती है।

नजर नजर से मिले जिस दिन और नजर झुक जाये,
समझ लेना उस दिन तुमसे मोहब्बत हो गई है उसे।

जान ले यह कि मोहब्बत हौले हौले जवां होती है,
इजहारे मोहब्बत लफ्जों में नहीं नजरों से बयां होती है।

चंद अल्फाज क्या करेंगे जो एक नजर करती है,
कौन कहता है कि इजहारे मोहब्बत आसां होती है।

चांद जब संगमरमरी लिवास में धीरे से जमीन पर उतरे,
उनके आने जाने का सबब न कोई मुझसे पूछे,
पहलू में हों वह बैठे निहारते हुए भीगी नजरों से,
कह दूँगा कि बेपनाह मोहब्बत है मुझे उनसे,
ऐसे हो जाएगी इजहारे मोहब्बत बयां मुझसे, 
उलझन में हूं सोचता हूँ हर रोज मैं कहूँगा कैसे,
डर है कि कहने से बात बिगड न जाय कहीं, कैसे कह दूँ कि हो गई तुमसे मोहब्बत है मुझे,
उलझन है कि बडती जाए है ये न हो पाएगा मुझसे,
कौन कहता है कि इजहारे मोहब्बत आसां होती है।
  • Ajay Jain Sundat chitran dwara prem ki abhivyakti aashakti
  • Arun Kumar Singh सर गजब लिखा आपने
  • Ram Saran Singh तीनों रचनाएँ मुहब्बत की ख़ूबियों से लबालब हैं । लेकिन मुहब्बत में गर तड़प न हो तो मज़ा क्या । क्योंकि इजहारे मुहब्बत आसां नहीं होती । बहुत बढ़िया सिंह साहब ।
  • S.p. Singh धन्यवाद आपने तीनों रचनाएँ आत्मसात कीं। आपकी टिप्पणी स्वीकार है। मुझे हमारे मित्र ने कल की मेरी रचना महानगर ( दिल्ली ) में महिलाओं के संदर्भ में यह आदेश दिया था कि मैं उनके द्वारा गया वाक्य जो कुछ इस तरह था कि ' कैसे करते हो मोहब्बत का इजहार इतने चंद लफ्जों में '।
    उन्होंने यह चाहा था कि मैं इस पर कुछ लिखूं।
    इस बजह से मेरा सारा ध्यान सिर्फ उनके आदेश के इर्द गिर्द ही घूमता रहा।
    मोहब्बत के दूसरे पहलुओं पर ध्यान नहीं दिया।
    क्षमा करिएगा।
    पुनः आपका धन्यवाद।
  • Chadha Vijay Kumar Thanks a lot to put beautiful lines on Mohabbet,it has enlivened me and put more energy and vitalism in my love.Sir with yours invaluable input you have raised my platform.We wish great and enligheting days for you and family
  • S.p. Singh Thanks. Please ask Mr. Rajan also to read these poems. 
    I have taken his input also which he shared yesterday. I hope he too likes these poems. Regards.
  • Upendra Kumar · Friends with Bal Krishna Verma
    Namste mama ji
  • Suresh Chadha DHANAYABAD post ke liye Sir ji ........ teeno rachnay ek se bad kar ek hae........ is liye duvhidha ki situation mae a gaya hu kon si choose karu sari ki sari uttam hae Ap ki sari post fb pe uttam hi hote hae
  • Rajan Varma धन्यवाद सिहं साब मेरे विचारों को अपनी रचना में पिरोने के लिये- इज़हारे मुहौब्बत लफ़्जों में नहीं नज्ररों में बयां होती है- क्या अंदाज़े बयां है । तीनों रचनाऐं श्रेष्ठ हैं परन्तु मेरा वोट तीसरी कविता को जाता है- इसमें कोई दो राय नहीं हो सकती कि आप कलम के धनी है; ईश्वर आपको अपने जीवन की सार्थक्ता की खोज एवं प्रयास में निरंतर सफ़लता प्रदान करे- ऐसी मेरी प्रार्थना है परमात्मां के श्री चरणों में
  • Anil Kumar Madan Wah wah umda sir ye teeno hi Chadha Vijay Kumar ji par suit karti hai Kya khyal hai Chadda Bhai saheb
  • Ajay Jain Sabhi Mitr bandhuo ko good Evening ji
  • Kaushal Kumar wow.....
  • S.p. Singh राजन जी,
    आपका तहेदिल से शुक्रिया, 
    आपको क्या कहूँ आपने निशब्द कर दिया,
    शुक्रिया शुक्रिया शुक्रिया शुक्रिया।
    इसी तरह से सदभाव बना रहे और आपके प्यार को पाने में भगवान शक्ति प्रदान करे।
    बस यही चाहूँगा।
    धन्यवाद।
  • S.p. Singh अनिल मदान, 
    विजय जी की खिचाई कर रहे हो क्या। राज की बात गर है कोई तो राज ही रहने दो।
    बहुत बहुत धन्यवाद।
  • S.p. Singh सभी मित्रों का आभार व्यक्त करता हूँ।
  • Sp Tripathi चड्ढा साहब बहुत क़िस्मत वाले निकले । बहुत सुन्दर वर्णन है मोहब्बत के बारे मे ।।See Translation
  • Ajay Jain Aaj ki shubh sandhya pe mitro ko namaskar ji
  • S.p. Singh जैन साहब आपका जबाब नहीं है।
    धन्यवाद।
  • Ajay Jain sir ji aap jese mahanubhavo se seekh rahe he ji--- Thnx ji
  • Rajan Varma मुहौब्बत बिना शर्तों के- इबादत की इंतेहा होती है- ऐसी शिद्दत अौर अौर श्रद्धा से मुहौब्बत ग़र उस खुदा से हो तो जीवन सार्थक होता है- फ़िर किसी बयान-बाज़ी की आवश्यक्ता ही नहीं रहती- ऐसा मेरा मानना है अौर उसी मुहौब्बत के त़लबदार थे बाबा बुल्लेशाह, मौलाना रूम, साईं कबीर अौर तमाम सूफ़ी फ़कीर; ये उनका है पैग़ामे मुहौब्बत- जहाँ तक पहुंचे
  • S.p. Singh बहुत खूब।
  • Ajay Jain Pix like karne ke liye sabhi mitro ka aabhar ji
  • BN Pandey RAJAN VERMA JI KE COMMENT KO PERH KER UNHE SALAAM KARANE KO MUN HUA. ................... APANE SUFI FAKIRO KI AAP NE LOGO KO YAAD JO DILAYEE..........HUM UNHE HAMESH SAZADA KARATE HAI.
  • Sk Kushwaha · Friends with BN Pandey and 2 others
    Very nice sir ji.
  • BN Pandey SIR JI AAJ TO AAP KUCHH JYAADA HI KAMAAL KER DIYE HAI. AAP NE CHADDHA JI KE NAAM PER ETANA EK HI BAAR ME PAROS DIYE HAI KI AUR KISI KA BHOJAN HUM LOGO KO PASAND HI NAHI AA RAHA HAI .............ARZ HAI "KHARAD KA PAAS RAHATA HAI NA FIKER HOSH HOTI HAI. HASEENO KI NAZAR ME MAIKADAA VERDOSH HOTI HAI. NAZAR SE JUB NAZAR MILATI HAI , HUM AAGOSH HOTI HAI. YEH VAH GUFTGU HAI JISAME JUBAN KHAAMOSH RAHATII HAI".............ADAAB.....
  • S.p. Singh बहुत खूब पाडें जी।
    क्या बात है।
    मजा आ गया।
  • BN Pandey DHANYBAAD SIR.
  • Lalji Bagri BAHUT KHOOB,
  • Rajan Varma पाँडे जी अापके उद्गारों का आभारी हूँ पर शायद हकदार नहीं- क्योंकि इस बात का अहसास है कि अगर इन संसारी प्रेमी किरदारों- अर्थात लैला-मजनूँ, श्री-फ़रहाद या फ़िर आजकाल के युगल जोड़े जो एक न होने पर मौत को गले लगा लेते हैं- इनसे अगर आधी लगान, शिद्दत अौर आग मेरे मन में उस ईश्वर के प्रति, अपने सत्गुरू के प्रति होती तो शायद साक्षात्कार हो जाता- अन्यथा बाकी सब तो कोरी बातें हैं- अौर बातों से इंन्सान कहीं नहीं पहुँचता; दिन-रात उस मक़्सद को जीना पड़ता है- खाना-पीना, सोना तो जानवर भी करते हैं- फ़िर हमने क्या खास कमा लिया जिस पर अपनी पीट थपथपा सकें-
  • Ajay Jain Shubh sandhya mitro----
  • R.k. Singh bahoot khoob sir. Kavita number 3 bahooton pe laagoo hoti hai
  • Bhawesh Asthana S.p. Singh बहुत खूब ,
    क्या बात 
    क्या बात ,
  • आशीष कैलाश तिवारी सबसे बडी प्रॉब्लम है सर,,, सीमित शब्द होना कविता की तारीफ करने के लिए 'वाह वाह',, तो मान लिया जाये कि हम भी यही बोले हैंSee Translation

No comments:

Post a Comment