Saturday, July 12, 2014

एक प्रभुता सम्पन्न राज्य

21St June, 2014


आशीष तिवारी जी से प्रेरित।

एक प्रभुता सम्पन्न राज्य के राजा के निधन के बाद प्रश्न यह उठा कि उनके बाद कोंन गद्दी संभालेगा चूकिं उनके कोई संतान नहीं थी।
सपने में महामात्य को भगवान ने सुझाया कि कल प्रातः जो पहला व्यक्ति दिखाई दे उसे हो राजकाज सौंप देना।
महामात्य को भोर में एक साधू दिखाईं दिए अतः उसे ही राजा बना दिया गया।
राजा बनते ही उसने पहला आदेश पारित किया कि भजन कीर्तन किया जाय। आदेश का पालन किया गया।
राज्य की हालत गंभीर होती गई परन्तु नये राजा पर कोई फर्क नहीं पड रहा था।
अचानक पास के ही दूसरे राजा ने उचित मौका समझ हमला बोल दिया।
लोग साधू राजा के पास गए और पूछा क्या आदेश है। उसने पुराने आदेश मानने को कहा।
पूजा और कीर्तन चलता रहा।
जब दुश्मन की फौज किले में भीतर घुस आई तो फिर राजा के आदेश जानने की कोशिश हुई।
साधू राजा ने फिर कहा कि कोई बात नहीं पूजा कीर्तन यथावत चले।
अंत में दुश्मन ने साधू को कैद कर लिया और जेल भेजने लगे तो वह बोला ' मुझे क्या पता राजपाट का मै तो साधू हूँ और पूजा पाठ ही जानता हूँ। इसलिए मुझे छोडो में चला।'
साधू की बात सुन सभी के होश ठिकाने लगे।

अर्थात क्या? यह आप स्वयं समझिये और बूझिऐ?
 — with आशीष कैलाश तिवारी and 7 others.
Photo: आशीष तिवारी जी से प्रेरित।

एक प्रभुता सम्पन्न राज्य के राजा के निधन के बाद प्रश्न यह उठा कि उनके बाद कोंन गद्दी संभालेगा चूकिं उनके कोई संतान नहीं थी।
सपने में महामात्य को भगवान ने सुझाया कि कल प्रातः जो पहला व्यक्ति दिखाई दे उसे हो राजकाज सौंप देना।
महामात्य को भोर में एक साधू दिखाईं दिए अतः उसे ही राजा बना दिया गया।
राजा बनते ही उसने पहला आदेश पारित किया कि भजन कीर्तन किया जाय। आदेश का पालन किया गया।
राज्य की हालत गंभीर होती गई परन्तु नये राजा पर कोई फर्क नहीं पड रहा था।
अचानक पास के ही दूसरे राजा ने उचित मौका समझ हमला बोल दिया।
लोग साधू राजा के पास गए और पूछा क्या आदेश है। उसने पुराने आदेश मानने को कहा।
पूजा और कीर्तन चलता रहा।
जब दुश्मन की फौज किले में भीतर घुस आई तो फिर राजा के आदेश जानने की कोशिश हुई।
साधू राजा ने फिर कहा कि कोई बात नहीं पूजा कीर्तन यथावत चले।
अंत में दुश्मन ने साधू को कैद कर लिया और जेल भेजने लगे तो वह बोला ' मुझे क्या पता राजपाट का मै तो साधू हूँ और पूजा पाठ ही जानता हूँ। इसलिए मुझे छोडो में चला।'
साधू की बात सुन सभी के होश ठिकाने लगे।

अर्थात क्या? यह आप स्वयं समझिये और बूझिऐ?
  • Ram Saran Singh इस कहानी से यह बात स्पष्ट होती है शासन और शासक के नियम होते हैं । पूजा एक स्तर तक तो समझ में आती है जहाँ तक यह मन की मलिनता को दूर कर पाने में सक्षम हो, तृष्णा और लोभ का नाश होता हो परंतु यदि यह अंधविश्वास की सीमा तक पहुँच जाए तो व्यक्ति और शासन दोनों का नाश होता है ।
  • आशीष कैलाश तिवारी Sp सर।.. लिखवा कर ले लीजिए कि वह साधू सत्याग्रही रहे होंगे।.... स्वाभाविक है 'जो सत्य के लिये आग्रह करे, वह सबसे बड़ा मूढ़ है।'... आग्रह, जिस सत्य में लगे... वह सत्य, असत्य बन गया है..See Translation
  • Javed Usmani सतर्क चयन ही सार्थक हैSee Translation
  • Ashish Pandey · Friends with आशीष कैलाश तिवारी
    मन में स्वस्फूर्त ख्याल आया है।
    एक पूर्व प्रतापी राजा सोहनदास अकरमचंद उन्मादी ने भी कुछ ऐसा ही किया था।
  • Ashish Pandey · Friends with आशीष कैलाश तिवारी
    फर्क इतना है की वो भाग नहीं रहे थे तो उन्हें ।।।।

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