कलम से _ _ _ _ _
22nd June, 2014
सत्ता के शीर्ष पर पहुंचने
को लोग क्या क्या
रास्ते अपनाते हैं,
पहले तो चाय बनाते
और पिलाते हैं।
जब कुर्सी मिल जाय
तो पब्लिक को
भूल जाते हैं।
राजनीति में
चरित्र किसी का भी
ठीक नहीं होता
सिर्फ मतलब सिद्ध हो
बाकी कुछ ठीक नहीं लगता
उल्लू बनती है प्रजा
जो बेकार परेशान होती है
धूप पानी झेल कर
गले फाड कर नारे लगाने में
अपनी खुशी समझती है।
छोडो सब यह सब यूंहीं चलेगा
सुबह का वक्त है
एक प्याला चाय पर हिन्दोस्तां मिलेगा। — with Ram Saran Singh and 45 others.
22nd June, 2014
सत्ता के शीर्ष पर पहुंचने
को लोग क्या क्या
रास्ते अपनाते हैं,
पहले तो चाय बनाते
और पिलाते हैं।
जब कुर्सी मिल जाय
तो पब्लिक को
भूल जाते हैं।
राजनीति में
चरित्र किसी का भी
ठीक नहीं होता
सिर्फ मतलब सिद्ध हो
बाकी कुछ ठीक नहीं लगता
उल्लू बनती है प्रजा
जो बेकार परेशान होती है
धूप पानी झेल कर
गले फाड कर नारे लगाने में
अपनी खुशी समझती है।
छोडो सब यह सब यूंहीं चलेगा
सुबह का वक्त है
एक प्याला चाय पर हिन्दोस्तां मिलेगा। — with Ram Saran Singh and 45 others.

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