Saturday, July 12, 2014

सांझ होते ही सहम जाती हूँ!

कलम से _ _ _ _

23rd June, 2014

सांझ होते ही
सहम जाती हूँ
डर के अपने पंख मे छिप जाती हूँ
मैं एक कबूतरी हूँ
अपने पिया संग रहती हूँ।

इस शहर में
सहर होने तक
चैन नहीं मिलता है
हर वक्त यहां कुछ न कुछ
होता रहता है।

शोरगुल इतना है
कान बहरे हो जाते हैं
कुछ लोग कार में म्यूजिक
तेज बहुत बजाते हैं
खुद तो मौज करते हैं
दूसरों की नींद हराम करते हैं

चिल्लाने को वजूहात
बहुत होते हैं
बिजली नहीं होने को
लोग हरदम यहां रोते हैं
न तो खुद सोते हैं
और न मुझे सोने देते हैं।

सोने, सोने को लेकर
परेशान बहुत होते हैं
सोना नसीब होता है
तो दिल खोल के हंसते हैं।

वो तो हंस लेते हैं
हमको तो वो रोने भी नहीं देते हैं
ऐसे मनहूस लोगां
यहां रहते हैं।
 — with Ram Saran Singh and 46 others.
Photo: कलम से _ _ _ _

23rd June, 2014

सांझ होते ही
सहम जाती हूँ
डर के अपने पंख मे छिप जाती हूँ
मैं एक कबूतरी हूँ
अपने पिया संग रहती हूँ।

इस शहर में
सहर होने तक
चैन नहीं मिलता है
हर वक्त यहां कुछ न कुछ
होता रहता है।

शोरगुल इतना है
कान बहरे हो जाते हैं
कुछ लोग कार में म्यूजिक
तेज बहुत बजाते हैं
खुद तो मौज करते हैं
दूसरों की नींद हराम करते हैं

चिल्लाने को वजूहात
बहुत होते हैं
बिजली नहीं होने को
लोग हरदम यहां रोते हैं
न तो खुद सोते हैं
और न मुझे सोने देते हैं।

सोने, सोने को लेकर
परेशान बहुत होते हैं
सोना नसीब होता है
तो दिल खोल के हंसते हैं।

वो तो हंस लेते हैं
हमको तो वो रोने भी नहीं देते हैं
ऐसे मनहूस लोगां
यहां रहते हैं।
  • Ajay Jain Good Morning Ji
  • S.p. Singh Good Morning to you.
  • Ajay Jain Prem prasang me sandesh vahak ---
  • Kalpana Chaturvedi Kavi kuch aise tan banao jisase uthal puthal mach jaye. Sab sadbhavnayen umar ayen durbhav mit jayen.
  • S.p. Singh बहुत सुंदर प्रभावित हुए।

    कवि ह्रदय ऐसे होते हैं,
    खुद पर हंसते हैं,
    दूसरों के दुख में खडे रहते हैं,
    उनके दिल में तूफान सदा रहते हैं।

    आपका आशीर्वाद मिला मन प्रसन्न हो गया।
    बहुत धन्यवाद।
  • Ajay Jain vese bhi enki jagah bhi ajab nirali hoti he---
  • Rajan Varma "सोना" के दो अर्थों का बहुत कुश्लता एवं अर्थ-पूर्ण भाव-युक्त प्रयोग किया है आपने सिहँ साहब- ये सच है कि अमीरों को मख़मली गद्दों पर भी "सोना" नसीब नहीं होता (ग़रीब मज़दूर तो भरी दुपहरी में भी सड़क किनारे पड़ी रोड़ी के ढ़ेर पर अौर यातायात के शोर-गुल मैं भी ख़र्राटे भर कर सोने का आनन्द ले पाता है) अौर ता-उम्र "सोने"- अर्थात पीला धातू सोना- के पीछे भागता रहता है- कस्तूरी-मृग की तरह- अौर "सोना" मिलने पर खुश तो बहुत होते है पर इस खुशी के मारे "सोना" अर्थात नींद फ़िर भी नसीब नहीं होती; क्या विडम्बना है- य़ा ख़ुदा- रहम कर अपने बन्दों पर
  • S.p. Singh I am glad to see that you have observed it in the right spirit. Thanks for lovely comments.
  • BN Pandey SINGH SAHEB AAP KI RACHANA AB DHIRE DHIRE " HRIDAY SPARSHI" HONA SHURU HO GAYI HAI. CHHOTI SE CHHOTI BAAT KO BHI AAP CHAND LINE ME ES TARAH PESH KAR DETE HAI KI KAHI N KAHI ADAMI APANE KO KHUD HI USASE JURA MAHSOOS KARANE LAGATA HAI... BAHUT BAHUT DHANY BAAD............... AAP KE PAAS PEGEON HAI TO MERE PAAS KAI DOZZEN GAURAIYA. ............ YE JAROOR HAI KI HAMAARA SAHARA ESTATES KISI BHI TARAH KE POLLUTION SE MUKT HAI ESLIYE HAMARE YAHA ENHE KOI DISTURBANCE NAHI HAI ..............YE SAMAY SE SOTI AUR JAGATI HAI................ AUR ASALI "SONA" BAAP RE BAAP .......
  • S.p. Singh Please post some photos of gauriyas.
  • Ram Saran Singh उत्तम प्रस्तुति । अलंकार से अलंकृत रचना । यहाँ के शोरो- गुल से आदमी क्या पशु- पक्षी भी ऊबने लगे हैं । वे भी अपनी भाषा में कहते होंगे " जाएँ तो जाएँ कहाँ "
  • S.p. Singh बहुत धन्यवाद सुदंर आशीर्वाद हेतु।
  • BN Pandey sir mai khud post nahi kar pata hu. jaldi hi karadunga
  • S.p. Singh आपके आशीर्वाद मेरे लिए बहुत ही प्रसन्नता का विषय है।
    धन्यवाद।
  • Javed Usmani ''वो तो हंस लेते हैं
    हमको तो वो रोने भी नहीं देते हैं
    ऐसे मनहूस लोगां
    यहां रहते हैं''
    जानदार
    See Translation
  • S.p. Singh बहुत सुंदर लगे आपके दो शब्द।
    शुक्रिया।
  • SN Gupta अति सुन्दर कविता बधाई सिंह साहब
  • Ajay Jain Aap aaye Bahar aayi S N Gupta ji
  • S.p. Singh आप वापस आगए हैं। अच्छा लगा कि थोडे दिन हिमालय की गोद में बैठ आऐ हैं।
    ताजी हवा चलाइये जिसकी सोंधी खुशबू से मन की बगिया खिल उठे।
    कविता के इंतजार में।
  • Rajani Bhardwaj anek bhawon ko samete huye............
  • आशीष कैलाश तिवारी "वो तो हंस लेते हैं,,,,,, हमको तो वो रोने भी नहीं देते हैं,,,, ऐसे मनहूस लोगां यहां रहते हैं।"...... Sp सर की जय हो,,,,,,,,,,। 
    कम से कम किसी ने तो कबूतरां के दर्द को समझा ना!
    See Translation
  • S.p. Singh शुक्रिया आपका आशीष भाई।

    दर्द का मर्म क्या है किसी ने तो समझा।
  • Baba Deen · Friends with Bagga Sk and 19 others
    ATI SUNDAR

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