Saturday, July 12, 2014

मानव जीवन भगवान की सबसे सुंदर देन है

26th June, 2014

मानव जीवन भगवान की सबसे सुंदर देन है,
पाकर इसको क्यों कुछ लोगां गमगीन हैं।

मै जिस परिवेश से आया हूँ,
विशिष्ट नहीं, है साधारण,
फिर भी अदभुद, 
और मैं संवेदनशील हूँ,
गुण यही कुछ मुझे अलग थलग रखेंगे,
पहचान मेरी बनाने में मदद करेंगे।

जी रहा जीवन के सुंदर पल मैं,
इस पडाव पर आकर,
लोग हार थक जब बैठ जाते हैं,
तुम्हारी यादें मेरा मन बहलाती हैं,
हर रोज नई सोच जाग्रत होती है,
मुझे तुम्हारे और करीब ले आती है,
अंकुरित होने लगता है एक बीज,
प्रेम कविता बन फूट पडती है।

मै लेने देने में करता विश्वास नहीं,
लिखता जो हूँ मैं शीघ्र पहुँचे तुम तक,
इसके लिए परेशान रहता हूं,
आऊंगा, लाऊंगा फिर दे जाऊंगा,
जो बन पडेगा उतना कर जाऊंगा,
कोशिश रहे मेरी मन तेरा हर पाऊँगा।

इस मानव जीवन को जी,
मैं सार्थक कर जाऊंगा,
क्योंकि,
मानव जीवन ही भगवान की सबसे सुंदर देन है।
 — with आशीष कैलाश तिवारी and 10 others.
Photo: मानव जीवन भगवान की सबसे सुंदर देन है, 
पाकर इसको क्यों कुछ लोगां गमगीन हैं।

मै जिस परिवेश से आया हूँ, 
विशिष्ट नहीं, है साधारण, 
फिर भी अदभुद, 
और मैं संवेदनशील हूँ, 
गुण यही कुछ मुझे अलग थलग रखेंगे, 
पहचान मेरी बनाने में मदद करेंगे।

जी रहा जीवन के सुंदर पल मैं, 
इस पडाव पर आकर,
लोग हार थक जब बैठ जाते हैं, 
तुम्हारी यादें मेरा मन बहलाती हैं, 
हर रोज नई सोच जाग्रत होती है,
मुझे तुम्हारे और करीब ले आती है,
अंकुरित होने लगता है एक बीज,
प्रेम कविता बन फूट पडती है।

मै लेने देने में करता विश्वास नहीं,  
लिखता जो हूँ मैं शीघ्र पहुँचे तुम तक,
इसके लिए परेशान रहता हूं,
आऊंगा, लाऊंगा फिर दे जाऊंगा,
जो बन पडेगा उतना कर जाऊंगा,  
कोशिश रहे मेरी मन तेरा हर पाऊँगा।

इस मानव जीवन को जी, 
मैं सार्थक कर जाऊंगा, 
क्योंकि,
मानव जीवन ही भगवान की सबसे सुंदर देन है।
  • Deobansh Dubey सुन्दर विचारों की अभिव्यकि । बधाई श्री एस पी सिंह जी ।
  • Suresh Chadha Man ko chu leney bala atti uttam vichar sir ji
    Kayuki manav jeevan hi sab se uttam hae
    Iske liye bhagwan ko koti koti dhanyabad
  • Ram Saran Singh मानव जीवन अनमोल है । इसका सदुपयोग करने में ही सार्थकता है । तथापि कुछ लोग नहीं समझते यह मर्म ।
  • S.p. Singh बहुत बहुत धन्यवाद आप सभी का और स्वागत।
  • BN Pandey HUM SUB KO PRABHU NE PRASAAD KE ROOP ME YE MAANAV JIVAN DIYA KINTU DUNIA ME INSAAN ESE 03 TARAH SE JEETA HAI................. MUSTI ME.........BUSTI ME.......AUR SUSTI ME.............. DHANY HAI AAP JAISE MAANAV JO ESE " APANI MUSTI" ME JEETE HAI....
  • S.p. Singh बहुत सुंदर भाव व्यक्त करने के लिए धन्यवाद पांडे जी।
  • BN Pandey DHANYBAAD SIR AAP KA SNEH BANAA RAHE
  • Rajan Varma मानव जीवन ही भगवान की सबसे संुन्दर देन है- अौर श्रेष्ठत्तम उत्पत्ति भी; ८४ लाख़ योनियों में सिरमौर योनि- तभी तो हमारे ऋषि-मुनियों ने इसे "नर-नारायणी देह" कहा है- वो देह जिसमें नारायण खुद निवास करता है अौर नर को नारायण से साक्षात्कार भी इसी नर-देही में ही संभव है; क्योंकि मानव योनि ही मात्र कर्म-योनि है, बाकी सभी ८३,९९,९९९ योनियाँ सिर्फ़ भोग योनियाँ हैं- जिसमें आत्मा केवल अपने पूर्व जन्मों में किये कर्मों का फ़ल ही भोगती है- कोई नया कर्म करने की स्वतंन्त्रता नहीं होती- कर्म-योनि को ही यह हक़ प्रदान है कि वह पूर्व-जन्मों में किये कर्मों का फ़ल भी भोगता है अौर नये कर्म भी कर सकता है- यह कर्म-प्रधान योनि है । इसीलिये इसका महत्व सबसे अधिक है- अौर केवल यही एक-मात्र ऐसी योनि है जिसमें पाँचों मूल तत्व विद्यमान हैं- अर्थात मिट्टी, जल, वायू, अग्नि एवं आकाश- अर्थात विवेक की, भले-बुरे में पहचान कर सकने की क्षमता केवल मानव-जाति को प्राप्त है- अत: हमें ईश्वर की इस अनुपम एवं अमूल्य भेंट की महत्वता को समझते हुये, मानव-जीवन के मूल उद्देश्य को समझना चाहिये अौर अपने इन अमूल्य शवासों को कौड़ियों के भाव नष्ट न करके इन्हें मानव-जीवन की सार्थकता को हासिल करने के मार्ग में उपयोग करना चाहिये । 
    शायद कुछ भावावेश अधिक तो नहीं बोल गय़ा- कृप्या इसे प्रवचन न समझा जाये; मैंने तो केवल वो लिखा जो मैने आज तक समझा, बस
  • S.p. Singh अति सुन्दर विचार।

    गदगद हो गया है मेरा मन।

    बहुत बहुत धन्यवाद।
  • Rajan Varma आपने मेरे अनुरोध का मान रखा, धन्यवाद सिहँ साहब- आगे भी कभी-कभी तक़लीफ़ देता रहूँगा
  • S.p. Singh आपने जो आदेश दिया था उस पर काम कर रहा हूं। कल पोस्ट करूंगा।
    धन्यवाद वर्मा जी।
  • Ramaa Singh Rajan varma जी बहुत ही सुन्दर। लिखा है आपने मन कुछ दिनों से विचलित था , पढ कर बहुत शान्त हुआ मन। धन्यवाद
  • Sp Tripathi ऐसा माना जाता है कि मनुष्य का शरीर एक लाख चौरासी हज़ार योनियों के बाद मिलता है । कितना दुर्लभ है यह मनुष्य योनि । इस योनि का सदुपयोग हर व्यक्ति का कर्तव्य है । यह कविता इस योनि की सार्थक बनाने के लिए प्रेरित करती है, इसलिए सराहनीय है ।।See Translation
  • Rajan Varma धन्यवाद सिहँ साहब का जिन्होंने स्थान अौर इज़ाज़त दी लिखने की
  • S.p. Singh आप ऐसे ही लिखते रहें बहुत अच्छा लगता है।
  • Shashi Shekhar Prasad आइ.टी.आइ के दिनो मे कहां छुपा रखा था इस प्रतिभा को. काश आमने सामने बैठ सुनने का सौभाग्य मिला होता.
  • S.p. Singh फिर अवसर मिलेगा। आशा रखिए।
  • Javed Usmani बहुत बेहतरीनSee Translation
  • Lalji Bagri kitna samay dete hai kavita likhne men
  • S.p. Singh कौन कहता है कि कम्बख्त समय लगता है कविता लिखने में।
    यह तो अपने आप बनती चली जाती है। आपको कविता को जीना पडता है।
    कभी दिल्ली आओ तो मुलाकात हो।
  • Rajani Bhardwaj हर रोज नई सोच जाग्रत होती है,
    मुझे तुम्हारे और करीब ले आती है,
    अंकुरित होने लगता है एक बीज,
    प्रेम कविता बन फूट पडती है।.....or isiliye aapki ek se adhik kavita roj hme mil jati h
    See Translation
  • Vandana Dubey Vandu · 5 mutual friends
    amazing mind blowing
  • Puneet Chowdhary Lovely lines sir
  • S.p. Singh धन्यवाद मित्रों का ।
  • Chadha Vijay Kumar very rich and life motivational content

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