कलम से---
28-05-2014
हर दिन तुम आगे बढ जाते हो,
छोड मुझे पीछे क्यों आगे हो जाते हो,
क्या कभी मै तुम्हारे साथ चल पाऊँगा,
नहीं जानता साथ तुम्हारा कभी मैं पाऊँगा। — with Ramaa Singh at Kaushambi (Ghaziabad).
28-05-2014
हर दिन तुम आगे बढ जाते हो,
छोड मुझे पीछे क्यों आगे हो जाते हो,
क्या कभी मै तुम्हारे साथ चल पाऊँगा,
नहीं जानता साथ तुम्हारा कभी मैं पाऊँगा। — with Ramaa Singh at Kaushambi (Ghaziabad).

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