Wednesday, August 13, 2014

जीवन की यह बातें और यह गुजरी रातें याद आई हैं

कलम से____

जीवन की यह बातें और
यह गुजरी रातें याद आई हैं
जब जब तन्हाई पाई है
स्मृतियों की बदली छाई है
निकल सके न हम न निकल सके तुम
आग कैसी लगाई है
यह अपनी किस्मत है
रह रह कर मुझे तेरी याद आई है
बदरा घिर आए तुम न आए
तुम्हारी याद घिर आई है
बालम मेरे आओ और न तरसाओ
आखँ मेरी भर आई है।

//surendrapal singh//

http://spsinghamaur.blogspot.in/
Photo: कलम से____

जीवन की यह बातें और 
यह गुजरी रातें याद आई हैं
जब जब तन्हाई पाई है 
स्मृतियों की बदली छाई है
निकल सके न हम न निकल सके तुम 
आग कैसी लगाई है
यह अपनी किस्मत है 
रह रह कर मुझे तेरी याद आई है
बदरा घिर आए तुम न आए 
तुम्हारी याद घिर आई है
बालम मेरे आओ और न तरसाओ 
आखँ मेरी भर आई है।

//surendrapal singh//

http://spsinghamaur.blogspot.in/

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