Sunday, August 10, 2014

Post of Mr. Ram Saran Singh on Facebook dated 09/08/2014


Post of Mr. Ram Saran Singh on Facebook dated 09/08/2014


सहमत ।
फ़ेस बुक पर काफ़ी सामग्री मिलती रहती है । लेकिन हाल के दिनों में देखने को मिला कि एक से बढ़ कर एक कविताएँ और रचनाएँ आने लगी है । कुछ तो सुस्थापित कवि हैं जिनको मैं नमन करता हूँ । इनकी रचनाएँ दिल को झकझोर देती हैं । ऐसी रचनाओं में परिवर्तन की पिपासा और क्रांति की तड़प परिलक्षित होती है । उनमें माननीय मनोज श्रीवास्तवजी, आदरणीय एस पी सिंह जी और मान्यवर नरेंद्र श्रीवास्तव जी हैं । लेकिन कुछ उदीयमान औरनवोन्मीलित कवि भी हैं जिनकी रचनाएँ भी हृदयस्पर्शी होती हैंं । कहने का अभिप्राय यह है कि हमारे हिंदी जगत में प्रतिभाओं और प्रतिभावानों का अभाव नहीं है । इतिहास साक्षी है कि साहित्यकारों और कवियों ने समाज को तंद्रा से जगाने और कर्म क्षेत्र मेंं लग जाने का महती कार्य किया है । आज समाज जिस दौर से गुज़र रहा है, अपराधवृत्ति जो भयंकर रूप ले रही है, जो आपाधापी मची है उसमें कवि की भूमिका के महत्त्व को नकारा नहीं जा सकता । ये मेरे अपने विचार हैं मित्रों शायद आप मुझसे सहमत हों ।
UnlikeUnlike ·  · 
  • You like this.

No comments:

Post a Comment