Sunday, August 10, 2014

बेनकाब इनको कर दो

कलम से____

बेनकाब इनको कर दो
रह न जाये कुछ पास
नंगा इन्हें इतना कर दो
आखँ शर्म से झुकीं रहें
ऐसा इनके साथ कर दो।

उम्र छोटी, गुनाह किए बडे हैं
घिन आती है बताते हुए
खुद तो बेआबरू हुए हैं
दूसरों की निगाह नीची हुई है।

इनको माफ कर दें
हैैं, इस काबिल नहीं
रहेंगे कैसे सभ्य समाज में
जानते ही नहीं।

जड़ खोद मठ्ठा भर दो
पाप इन्होंने किए ही ऐसे हैैं
इनकी नस्ल भी पैदा न हो
कुछ ऐसा कर दो।

गुनाह संगीन हैं अधिक
कितने गिनाओगे उंगलियों
पर भी समा न पाएगें
नादान हैं, गुनाह अनेक किए हैं
मुआफी के काबिल नहीं हैं।

नया कानून बनाओ
सख्त से सख्त सजा कर दो
काम कुछ ऐसा करो, जल्दी करो
देर न करो, बढ़ते गुनाह काबू करो।

(On juvenile crimes involvement like rape and murders)

//surendrapalsingh//
08 07 2014
Photo: कलम से____

बेनकाब इनको कर दो
रह न जाये कुछ पास 
नंगा इन्हें इतना कर दो
आखँ शर्म से झुकीं रहें
ऐसा इनके साथ कर दो।

उम्र छोटी, गुनाह किए बडे हैं
घिन आती है बताते हुए
खुद तो बेआबरू हुए हैं
दूसरों की निगाह नीची हुई है।

इनको माफ कर दें 
हैैं, इस काबिल नहीं 
रहेंगे कैसे सभ्य समाज में
जानते ही नहीं।

जड़ खोद मठ्ठा भर दो
पाप इन्होंने किए ही ऐसे हैैं
इनकी नस्ल भी पैदा न हो
कुछ ऐसा कर दो।

गुनाह संगीन हैं अधिक 
कितने गिनाओगे उंगलियों
पर भी समा न पाएगें
नादान हैं, गुनाह अनेक किए हैं
मुआफी के काबिल नहीं हैं।

नया कानून बनाओ
सख्त से सख्त सजा कर दो
काम कुछ ऐसा करो, जल्दी करो
देर न करो, बढ़ते गुनाह काबू करो।

(On juvenile crimes involvement like rape and murders)
 
//surendrapalsingh//
08 07 2014
  • Umesh Sharma कम उम्र के दरिन्दों को भी उतनी ही कड़ी सज़ा मिलनी चाहिये , जितनी की वयस्क को मिलती है।उम्र कम होने से गुनाह कम नहीं होते ।See Translation
  • Harihar Singh बहतरीन प्रस्तुतिSee Translation
  • S.p. Singh शुक्रिया महानुभाव।
  • Rajan Varma बेहतरीन अभिव्यक्ति आज के बढ़ते नाबालिग अपराधों की- नाबालिगों का इस्तेमाल कर रहे हैं एयर-कंडिशंन्ड कमरों में बैठे हुये डाॅन- नई पौध तैयार हो रही है लच्चर कानून के चलते; अगर नाबालिग की उम्र १२ साल हो जाये तो शायद कहीं ब्रेक लगे; अौर जिस तरह के जघन्य अपराध कर रहे हैं उसमें तो शायद इस्लामिक कानून ही ठीक है- जिस अंग से अपराध किया है वही काट दो; मसलन चोरी करे तो हाथ काट दो इत्यादि- दोबारा वो अपराध करने में ही अक्षम हो जाये; नही तो पूरे भारत में उल्टा प्रदेश का वायरस फ़ैल रहा है- रचना के मा़ध्यम से सशक्त संदेश
  • Ajay Kumar Misra खुबसूरत संदेश निहित है, इस रचना में।See Translation
  • S.p. Singh राजन जी,
    आपका कथन बिलकुल सही है।कानून सख्त बने और उसका पालन भी हो। कानून का खौफ तो रहना ही चाहिए।
  • S.p. Singh दद्दा जी आपने सही समझा थोडा क्रोध था मन में कविता लिखने के समय। समर्थन के लिए धन्यवाद।
    आपका प्यार बना रहे।
  • S.p. Singh अजय,
    बहुत बहुत धन्यवाद। आप हमारी सभी रचनाओं को बहुत ध्यान से पढते हैं। मुझे अच्छा लगता है।
  • Lalji Bagri ese jyada se jyada share kare bahut khoob lika hai aapne dhanya bad.sir
  • SN Gupta अति सुन्दर
  • Javed Usmani बहुत जबरदस्तSee Translation
  • BN Pandey WAAH WAAH SIR KYAA BAAT..AAP NE TO WO ZAZBAAT CHHER DI JISKI AAJ HER JAGAH CHARCHAA HAI......AAP NE KALAM TOR DI MERA SALAAM PAHUCHE.........LAZBAAB
  • S.p. Singh हम जहां हैं हमें वहीं रहने दो
    कुछ बस अब और न कहो।

    बहुत खूब पाडें जी।
  • BN Pandey GOOD MORNING SIR
  • S.p. Singh बहुत धन्यवाद पांडे जी।
  • Ram Saran Singh रचना में क्रोध है, उबाल है । हो भी क्यों न । सहन करने का बाँध टूट जो गया है । बहुत बढ़िया महोदय । ऐसी करारी चोट करते रहिए ।
  • S.p. Singh बहुत बहुत शुक्रिया सिंह साहब।
  • Anjani Srivastava बहुत सुंदर सर जी ! ना बादशाह हुं मै दिलों का , ना शायर हुँ मै लफ्जो का,
    बस जुबान साथ देती है,मै बाते दिल से करता हुं..."काम कुछ ऐसा करो, जल्दी करो
    देर न करो, बढ़ते गुनाह काबू करो" !!!!!!!!!!!!
    See Translation

No comments:

Post a Comment