Tuesday, August 19, 2014

हथेली पर जो पढ़ा है खुद मैंने लिखा है।

कलम से____

सिर खपा के भी तुम्हें कुछ न मिलेगा
हथेली पर जो पढ़ा है खुद मैंने लिखा है।

//surendrapalsingh//
 — with Puneet Chowdhary.
Photo: कलम से____

सिर खपा के भी तुम्हें कुछ न मिलेगा
हथेली पर जो पढ़ा है खुद मैंने लिखा है।

//surendrapalsingh//
  • Anjani Srivastava एक बूँद...... जब सागर से मिलती है तो अनंत हो जाती है। प्यार पाने की क्षमता प्यार देने से आती है।See Translation
    19 hours ago · Unlike · 2
  • Dhiraj Kumar wah...
    16 hours ago · Unlike · 1
  • Satish Manocha Great, believe in self first...
    4 hours ago · Unlike · 1
  • Rajan Varma अपनी प्रारब्ध मनुज स्वयं ही तो लिखता है; अौर जो लिख (बो) दिया, फ़ल भी तो उसी बीज के अनुरूप ही फ़लेगा- पर विडम्बना तो यही है कि बोते हम बीज नीम/बबूल का हैं अौर सपने देखते हें कि ये पेड़ आम के फ़ल देगा????
    'सिर खपा के भी तुम्हे कुछ न मिलेगा, हथेली पर जो पढ़ा है खुद मैंने लिखा है'- बहुत खूब बयाँ किया है आपने सर
    3 hours ago · Unlike · 2

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