Monday, August 25, 2014

नज़र नज़र से मिली कहर ढ़ा गई याद उसकी आज मुझे फिर आ गई।

कलम से____

नज़र नज़र से मिली कहर ढ़ा गई
याद उसकी आज मुझे फिर आ गई।

मिलने पर पूछा मेरा क्या हाल है
मुँह से मेरे निकला सब ठीकठाक है।

मिले थे हम बिछडने के कई साल बाद
बैठ कर टकरा लिए जाम कुछ देर बाद।

मस्ती में थे हम सातवें आसमां सवार
आँखों में छा रही थी धुधंली सी उनकी याद।

हम दोनों ही चाहते थे एक वस्ले यार को
छोड दिया था इसीलिए उनके ख्याल को।

सोच ही बदल दिया था छोडा न दोस्त को
इश्क से भी बडा दर्जा दिया दोस्ती को।

//surendrapalsingh//

http://spsinghamaur.blogspot.in/
 — with Puneet Chowdhary.
Photo: कलम से____

नज़र नज़र से मिली कहर ढ़ा गई
याद उसकी आज मुझे फिर आ गई।

मिलने पर पूछा मेरा क्या हाल है
मुँह से मेरे निकला सब ठीकठाक है।

मिले थे हम बिछडने के कई साल बाद 
बैठ कर टकरा लिए जाम कुछ देर बाद।

मस्ती में थे हम सातवें आसमां सवार
आँखों में छा रही थी धुधंली सी उनकी याद।

हम दोनों ही चाहते थे एक वस्ले यार को
छोड दिया था इसीलिए उनके ख्याल को।

सोच ही बदल दिया था छोडा न दोस्त को
इश्क से भी बडा दर्जा दिया  दोस्ती को।

//surendrapalsingh//

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