Friday, August 29, 2014

एक आईएफ के अफसर ने बीदर के किले

सुप्रभात मित्रों।
Good morning friends.
08 26 2014

आज सुबह सुबह सपने में पहाड, नदी-नाले, हरी-भरी वादियाँ, चादँ-तारे, सुन्दर नजारे आते रहे। पक्षियों की तरह तरह की मीठी आवाज कानों में गूंजती रही।

पल भर के लिए लगता है कि पंख लगा वहाँ उड़ जाऊँ। वहीं का हो कर रह जाऊँ।

आपको एक कहानी सुनाता हूँ।

कलम से____

जीवन की इस आपाधापी में
क्या हम सवेंदनशील रह पाएगें
पशु पक्षियों पेड़ पोधों से
सीख कोई ले पाएंगे
या फिर पिज्जा बर्गर के पीछे
ही न्योछावर हो जाएगें।

बड़े शहरों के रहने वालों के
पास समय इतना कहाँ है
पल दो पल बैठ आपस में
कुछ बात करें
कुछ अपनी कहें कुछ दूसरों की सुनें।

वक्त तेजी से गुजर जाता है
हर रोज एक प्रश्न नया छोड़ जाता है
सूरज हर रात के बाद फिर ऊपर आता है
वह भी बेचारा बात अपनी न कह पाता है।

छोटे शहर में रहने वालें के
दिल में कुछ कुछ होता है
इधर उधर नजर डालें
उनको बहुत कुछ दिखता है
बडे शहर वालों का वक्त
बस भागते भागते कटता है
सूरज राह पकड़ दिन भर अपनी चाल चलता है
शाम होते ही चूर होकर कर डूब जाता है।

एक आईएफ के अफसर ने बीदर के किले की
आसपास पाए जाने वाले पक्षियों की
सुदंर तस्वीर निकाली हैं
आपके लिए फेसबुक पर पोस्ट कर डाली हैं
पता नहीं आपने देखी हैं या नजर नहीं डाली है।

बचपन था उसका गुज़रा
मनुवर नदी (मनकापुर) के पास थाले में
वहीं पनपा था प्यार उसका नदी नालों में
तीतर बटेर मैना वहाँ सभी आते थे
मन उसका हर अपने साथ लिए जाते थे।

निकाल वक्त थोड़ा सा
पृक्रति के साथ रहो
संदेश यही देना है प्यारो
कुछ वक्त अपने लिए निकालो
पहाडों पर जाओ
नदियों की कलकल की आवाज सुनो
सरसराहट भरी सर्द हबाओं को महसूस करो
हरी भरी वादियों में घूमों
कुछ हसीन पल
अपनों के साथ बिता कर खुश होलो।

//surendrapalsingh//

http://spsinghamaur.blogspot.in/ //
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