Wednesday, August 20, 2014

साथ मेरा छूटा डाली से मैं टूटा सूख गया था

कलम से____

साथ मेरा छूटा
डाली से मैं टूटा
सूख गया था
डाली से हाथ छूट गया था।

होना है
यह सबके साथ
मुरझा कर गिर जाओगे
पग पथ थक जाओगे
फिर अपनी शाख से टूट जाओगे।

प्रकृति का नियम यही है
तुम इससे भिन्न नहीं हो
मन पक्का कर लो
दुखी होने का यह कारण नहीं है।

अश्रु न बहाना, मेरे प्यारो
पौधा नया लगाना यारो
नई कोपलें आएगीं
मन सबका हर ले जाएगीं।

//surendrapalsingh//

http://spsinghamaur.blogspot.in/ //
Photo: कलम से____

साथ मेरा छूटा
डाली से मैं टूटा
सूख गया था
डाली से हाथ छूट गया था।

होना है
यह सबके साथ
मुरझा कर गिर जाओगे
पग पथ थक जाओगे
फिर अपनी शाख से टूट जाओगे।

प्रकृति का नियम यही है
तुम इससे भिन्न नहीं हो
मन पक्का कर लो
दुखी होने का यह कारण नहीं है।

अश्रु न बहाना, मेरे प्यारो
पौधा नया लगाना यारो
नई कोपलें आएगीं
मन सबका हर ले जाएगीं।

//surendrapalsingh//

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  • Rajan Varma आप सर प्रतिदिन आइना दिखाना नहीं भूलते- you donot want us to ignore the writing on the wall- our inevitable end; 'साथ मेरा छूटा डाली से मैं टूटा, सूख गया था डाली से हाथ छूट गया था'- मुरझा कर गिर जाना सबकी नियति है, प्रकृति का यही नियम है- हंस कर स्वीकार लें या रो कर- हो कर तो उसी द्वार से जाना है जिसका नाम मृत्यू है; हर बीतते पल के साथ जनाज़ा अपने गंतव्य स्थान की अोर अग्रसर है- राम, कृष्ण, रावण, भीष्म-पितामह, सिकन्दर, पोरस सरीखी हस्तियाँ नहीं बच पाईं, जिन्हे इच्छा-मृत्यू का वर प्राप्त था तो हम किस उम्मीद में टनोँ-टन धन-राशि इकट्ठी कर रहें हैं- कि हम यहाँ से कभी जायेंगे ही नहीं? सोचने का िवषये है- अौर प्राथमिक्तायें बदलने का भी शायद-
    3 hours ago · Unlike · 3
  • S.p. Singh अति सुन्दर। भावनाओं से ओतप्रोत। पार्क में घूमते हुए आज यह सूखे पत्ते अच्छे लगे और फुटवा खींच लिए। बैठ कर एक बैन्च पर लिख दिए जो मन भीतर आया।
    3 hours ago · Like · 2
  • Harihar Singh प्रकृति का नियम यही है बहतरीन उदगारSee Translation
    2 hours ago · Unlike · 1
  • Harihar Singh बहतरीन समीक्षा रही आपकी राजन वर्मा जी ।आपने तो सारा उपसंहार बता दिया।जय हो आपकी।See Translation
    2 hours ago · Unlike · 2
  • Javed Usmani प्रेरक पंक्तियांSee Translation
    2 hours ago · Unlike · 1
  • Sp Tripathi यह जीवन सार है, माध्यम प्रकृति को बनाया आपने । मुझे बहुत अच्छा लगा ।See Translation
    2 hours ago · Unlike · 2
  • Ram Saran Singh महोदय जीवन की निस्सारता पर इतना सटीक लिखा है आपने कि किसी टिप्पणी का स्थान ही नहीं है । बहुत ही सही है ।
    2 hours ago · Unlike · 2

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