Saturday, August 2, 2014

सुप्रभात दोस्तों। 08 02 2014

सुप्रभात दोस्तों।
08 02 2014

सुबह उठ कर
हर रोज
नया करो कुछ
मन कहता।

उठा
पुरानी दुपहिया
बाइसिकल से घर से
निकल पडा।

जानता था
दूर बहुत
न जा पाऊँगा
थक जाऊंगा
मन मार अपनी
मंजिल फिर लौट आऊंगा।

जब तक
घर बाहर था
सपने देख रहा था
कुछ पुराने कुछ नये
ताना बाना बुन रहा था।

एक बार
पहाडी पीछे
जा पहुंचा था
सूरज आखिर
उगता किधर से
जानने को भन
बहुत उत्सुक था
झांक रहा था
दूर जहां कुछ
घटित हो रहा
लालिमा चहुँओर फैल पडी थी
सूरज की पहली किरण फूट चुकी थी
पक्षी नभ को चीर रहे थे
मंद मंद पवन मन मोह रही थी
नद छोटी सी
इधर उधर उछल
माधुर्य कर्णप्रिय घोल रही थी
ऐसी सुबह
मन मेरा
मोह रही थी।

हर सुबह ऐसी हो
आशा यह करता
मन डोल रहा है।

आपका मित्रों
हर दिन शुभ हो
उदगार ह्रदय से निकल रहा।
 — with Puneet Chowdhary.
Photo: सुप्रभात दोस्तों।
 08 02 2014

सुबह उठ कर
हर रोज
नया करो कुछ
मन कहता।

उठा
पुरानी दुपहिया
बाइसिकल से घर से
निकल पडा।

जानता था
दूर बहुत 
न जा पाऊँगा
थक जाऊंगा
मन मार अपनी
मंजिल फिर लौट आऊंगा।

जब तक 
घर बाहर था 
सपने देख रहा था
कुछ पुराने कुछ नये
ताना बाना बुन रहा था।

एक बार
पहाडी पीछे
जा पहुंचा था
सूरज आखिर
उगता किधर से
जानने को भन
बहुत उत्सुक था
झांक रहा था
दूर जहां कुछ
घटित हो रहा
लालिमा चहुँओर फैल पडी थी
सूरज की पहली किरण फूट चुकी थी
पक्षी नभ को चीर रहे थे
मंद मंद पवन मन मोह रही थी
नद छोटी सी 
इधर उधर उछल
माधुर्य कर्णप्रिय घोल रही थी
ऐसी सुबह
मन मेरा
मोह रही थी।

हर सुबह ऐसी हो
आशा यह करता
मन डोल रहा है।

आपका मित्रों
हर दिन शुभ हो
उदगार ह्रदय से निकल रहा।

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