Monday, November 21, 2016

रिंनी खन्ना की कहानी



हमने रिंनी खन्ना की कहानी के दो खण्ड देखे और तीसरा खण्ड सुधी पाठकों के हाथ में है। सबसे पहले तो मैं यह कहना समीचीन समझता हूँ कि रचनाकार श्री एस पी सिंह ने अपनी कहानी की मुख्य पात्र रिंनी खन्ना के व्यक्तित्व को कहीं झुकने नहीं दिया और ज़िंदगी के हर मोड़ पर रिंनी का चरित्र किसी की दया का मोहताज नहीं बनता क्योंकि ज़िंदगी को अपनी शर्तों पर जीना रिंनी की आदत है। दूसरा पहलू यह प्रतीत होता है कि रिंनी ऐसे व्यक्तित्व की धनी है कि वह लोगों को अपने अनुसार ढाल लेती है। यह रचनाकार की विशेषता ही है कि अपने इस बृहद धारावाहिक के माध्यम से श्री एस पी सिंह ने रिंनी के चरित्र को अनुकरणीय बना दिया। मन में यह उत्कंठा बनी रहती है कि रिंनी अब आगे क्या करेगी|
रिंनी ज़हीन है, तक़दीर और दौलत दोनों की स्वामिनी है। ऐसा लगता है कि परिस्थितियाँ स्वयमेव सज-धज कर उसके समक्ष उपस्थित हो रही हैं और रिंनी का स्वागत कर रही हैं। उसमें वह गुण है कि पत्थर को अपने स्पर्श से पारस बना देती है। वावजूद इन सबके, रिंनी में एक ऐसा स्त्रीत्व विराजमान है जो ऊँची उड़ान तो भरता है परंतु धरातल को नहीं भूलता। वह भी ईंट-पत्थर और लोहे से बने घर को बच्चों की किलकारियों से आबाद करने को लालायित है और इस स्वप्न को पूरा भी करती है। इस तीसरे खण्ड में रिंनी गार्हस्थ्य जीवन में प्रवेश करती है और उसका भरपूर आनंद उठाती है| परिवार के सभी सदस्यों के मध्य सौहार्द बनाये रखने की अहम् कड़ी है|
मित्रो, जीवन सदैव सपाट, सरल, ऋजु और निष्कंटक नहीं होता। जीवन को सर्पिल मार्गों से हो कर भी गुज़रना पड़ता है। फलस्वरूप, अनजाने हमारे समक्ष ऐसा दुर्विपाक उपस्थित हो जाता है जहाँ हम किंकर्तव्यविमूढ़ हो जाते हैं, हमारे वश में कुछ रह नहीं जाता, हम पूर्णतया दैवाधीन हो जाते हैं। ऐसे में जीवन की कश्ती को लहरों की मर्ज़ी पर छोड़ देने के अलावा कोई चारा नहीं रह जाता। रिंनी भी प्रकृति के इस क्रूर परंतु अटल नियम से परे नहीं है। आतंकवाद रिंनी की हँसती-खेलती दुनिया का उपहास करते हुए अपने कराल पंजों से ऐसा प्रहार करता है कि उसके जीवन का प्रासाद देखते-देखते उसकी आँखों के सामने ढह जाता है। यह वही आतंकवाद है जिसकी न कोई सीमा है और न कोई देश। यह हर रोज चुन-चुन कर मानवता का नाश कर रहा है। रिंनी अपने पति रवि और बेटे को खो देती है। उसके सामने दीर्घ जीवन का नैराश्य मुहँ बाये खड़ा है| परंतु वह अपना धैर्य बनाये रखती है|
समग्ररूप में इस धारावाहिक में हमें जीवन की किशोरावस्था से लेकर परिपक्वता तक पहुँचने के कई आयाम परिलक्षित होते हैं। श्री एस पी सिंह की हरेक रचना में देश की सांस्कृतिक विरासत को पर्याप्त स्थान मिलता है और रिंनी खन्ना की कहानी का तीसरा खण्ड भी इसका अपवाद नहीं है। रचना में कोणार्क और खजुराहो का वर्णन बड़ा ही जीवंत बन पड़ा है। पाठक को कोणार्क से खजुराहो की लंबी यात्रा तो करनी पड़ती है परंतु इस यात्रा में उसे कोई क्लांति और श्रांति की अनुभूति नहीं होती|
इसप्रकार हम गर्व से कह सकते हैं कि तीन खण्डों  में प्रकाशित यह धारावाहिक देश की विरासत से परिचित तो कराता ही है, साथ-साथ हम भारतीयों की व्यापारिक सूझबूझ का परिचय देते हुए विदेश में भी सफलता की कहानी सुना जाता है।

धन्यवाद:                                                                      राम शरण सिंह

बेंगलूरु

दिनांक : 08-11-2016

Monday, October 31, 2016

डॉट com

डॉट कॉम-(.com)
दुनिया कितनी तेजी से बदल रही है कि हम कभी इसको देखने और पहचानने की कोशिश नहीं करते हैं पर यह बदलाव निरंतर जाने-अनजाने होते रहते हैं।
कौन जानता था कि जिस ‘डॉट’ की तरफ हम भारतवासी, वह भी विशेष रूप से हिंदी भाषा-भाषी जो कि अपनी भाषा को आम बोल चाल की भाषा के रूप लेकर पढ़ते या लिखते हैं, कभी व्याकरण के ऊपर ध्यान नहीं देते हैं उनके जीवन में भी यह 'डॉट' कितना महत्व रखता है। ठीक उसी प्रकार जिस तरह कि इंग्लैंड में अंग्रेजी भाषा का इस्तेमाल करते हुए आम बच्चे अपने बचपन से प्रौढ़ होते हैं तो ध्यान नहीं देते। पर हम भारतीयों को अंग्रेजी पढ़ाते वक़्त शुरू से स्कूल और घर पर भी व्याकरण पर अधिक जोर दिया जाता है। ऐसे अंग्रेजों की अंग्रेजी भी एक भारतीय के कानों को खटकती है क्योंकि हमें बचपन से ही व्याकरण संगत अंग्रेजी बोलनी और लिखनी सिखाई जाती है।
यह बात अबकी बार जब मुझे हमारी किताब 'बचपन के सुहाने दिन' जो कि भाई राम शरण सिंह जी और मैंने साथ-साथ लिखी है और श्री राम शरण सिंह जी की 'विविध रंग' की एडिटिंग करते समय ही पता चली कि डॉट का हिंदी भाषा में एक महत्वपूर्ण स्थान है। श्री राम शरण सिंह जी जो कि हिंदी के स्वयं बहुत बड़े ज्ञाता हैं और भारत सरकार द्वारा  पुरष्कृत भी हैं साथ ही साथ हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमटेड, बंगलुरू में हिंदी विभाग में कार्यरत रह कर कुछ महीने पहले ही मेरी तरह 'ठलुए' की केटेगरी में आ गए हैं, उन्होंने बताया कि '' और '' पर कहाँ नीचे डॉट लगाया जाना व्याकरण के हिसाब से आवश्यक है और कहाँ नहीं।मैं औरों की तो नहीं जानता पर अपने बारे में कह सकता हूँ कि हिंदी भाषा मेरे लिए एक आम बोल-चाल की भाषा ही बनी रही मात्र इसके कि अपने बाबूजी को यदा-कदा पत्र लिखते समय लिखित रूप में हिंदी का उपयोग हुआ या स्कूल में पढ़ते समय अपने हिंदी के इम्तिहान को पास करने के लिये। नौकरी करते समय अधिकतर अपना काम अंग्रेजी भाषा के उपयोग में ही निपट गया।अब तो लगता है कि धीरे-धीरे हिंदी भाषा का उपयोग लिखने-पढ़ने में समाप्त प्रायः हो जायेगा क्योंकि कंप्यूटर के बढ़ते उपयोग और मोबाइल की आवश्यकता जिस तरह आम जीवन में बढ़ती जा रही है वहाँ तो हिंदी की जगह बी रोमन हिदीं ही शार्ट मैसेजिंग और चैटिंग की भाषा रह जायेगी। कोई लाख कहे हिंदी सिर्फ़ किताबों में लिखने और पढ़ने की भाषा रब जायेगी।
हाँ, मोदी जी के प्रधान पंत्री के बनने के बाद अब हिंदी का उपयोग भाषणों और सरकारी कामकाज में  इधर कुछ बढ़ता हुआ दिख रहा है यह एक अलग सी बात है|
हाँ तो हम अपने मूल विषय पर लौटते हैं कि यह 'डॉट' अब इतना महत्वपूर्ण हो गया है कि वगैर इस 'डॉट' के जीवन लगता है आगे नहीं चलेगा। जहाँ देखो तो यह 'डॉट' लगा है। आम जीवन में यह 'डॉट' और 'डॉट कॉम' अब विशिष्ट हो गए हैं। किसी भी वेबसाइट का नामकरण करना हो तो 'डॉट कॉम' ( .com ) हिंदी में 'बढ़ता' या 'पढ़ता' लिखना हो तो यह 'डॉट' या 'नहीं' लिखना हो तो यह 'डॉट' कहाँ लगेगा या चंद्र बिंदी कहाँ लगेगी या नहीं?
 मैं भाई राम शरण सिंह जी का आभारी हूँ कि जिन्होंने इस 'डॉट' की महिमा के साथ-साथ मुझे यह भी बताया कि 'नहीं' शब्द में चंद्र बिंदी नहीं लगेगी और यह भी कि 'दुनिया' बस ऐसे ही लिखी जायेगी और 'डॉट' लगा कर कर 'दुनियां' या इस तरह इस तरह चंद्र बिंदी लगा 'दुनियाँ' लिखना सही नहीं है। और यह भी की शब्द आना-जाना या खाना-पीना के बीच में – (-) लगाना आवश्यक है| हालाँकि इस (-) ने एडिटिंग के वक़्त बहुत समय बरबाद किया क्योंकि की जहाँ भी (-) आया वहाँ मोबाइल से डाटा कंप्यूटर में न जाने क्या हो जात था कि cursor jump करने लगता था|
सही कहते हैं ज्ञान अर्जित करने की कोई सीमा नहीं होती है कोई उम्र नहीं होती है| हम जब कि अपनी मात्र भाषा की बात विशिष्ट रूप में करते हों तो जीवन के इस पड़ाव पर भी लगता है कि अभी बहुत कुछ सीखना बाकी है।
“विवध रंग” और “बचपन के सुहाने दिन” दोनों ही पुस्तकें तथा “रिंनी की कहानी” प्रथम एवं द्वितीय खंड  आप सभी निम्न पते से प्राप्त कर सकते हैं| कृपा कर निम्न लिखित  ‘ई मेल’ पर  संपर्क साधें:-
M/s Zephyr Entertainment Private Limited,
B-13A, Institutional Area, Sector-62, Noida-201 301
Phone: +91 120 7945000
Website: www.zephyr.co.in
धन्यवाद।


Monday, August 15, 2016

ये दुनियाँ मिल भी जाये तो क्या है

मॉल से लौटते हुए एक भूखे व्यत्क्ति को पैसे मांगते हुए देख क्या लिया, सारा नशा उत्सव का उतर गया, हक़ीक़त से ऐसे मुकावला हो गया......

बहुत मना लिया उत्सव
   देखा मेला भी
खाई नमकीन मिठाई भी
चल अपनी दुनियाँ में
   आ अब लौट चलें
देखें दुनियाँ में अपनी क्या है
ऐसी दुनियाँ वैसी दुनियाँ
   मिल भी जाये तो क्या है
तो क्या है......

मुफ़लिसी, बीमारी
कीड़े मकौड़े वाली दुनियाँ
   भूख से परेशान बिफरते
रोते हुओं इंसानो की दुनियाँ
फटे-चीकट कपड़ों की दुनियाँ
   बिकते हों शरीर जहाँ
बिखरते टूटते सपने जहाँ
   बुझते दिए, श्वासों की दुनियाँ
ऐसी दुनियाँ वैसी दुनियाँ
ये दुनियाँ मिल भी जाये 
तो क्या है ........

स्वप्न सजोये बहुत
दीप आशा के जलाए बहुत
   कहा था तुम्ही ने तो यह
पोंछ दूँगा आँसू हर आँख के मैं
   भूल गए हो कहा था जो तुमने
ग़रीब नेताओं को फ़टेहाल देखा 
रातों रात बनते अमीर देखा 
   लौट के नहीँ आते हैं
रोज़ नई गाड़ी में जो दिखते हैं
वादा कर भूल जो जाते हैं
   करे भरोसा कोई कैसे उन पर
मर जाये कोई तब भी आयें न नज़र
ऐसी दुनियाँ वैसी दुनियाँ
   नसीब से मिल भी जाये 
तो क्या है.............

Saturday, July 23, 2016

Touristique Published-SPSingh

Very happy to announce that my third book venture named "Touristique" has been released. Interested persons may obtain copy by contacting:-

Mr. Rakesh Thakur,
Manager,
M/s Zephyr Entertainment Private Limited,
B-13 A, Media Center  Institute Area,
In-front of IBM Building,
Sector -62 Noida-210301

Cell: +91 9868982752
Mail: rakesh@zephyr.co.in
Website: www.zephyr.co.in

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Ramsevak Gupta Idyll like idylli
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Bagga Sk बधाईया सर
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Sudhir Kewaliya Congratulations..
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Ram Saran Singh बहुत बढ़िया सर । आपको बहुत बहुत धन्यवाद आपने मुझे एक प्रति भेजी है । ईश्वर आपको स्वस्थ रखे और अगली पुस्तक की तैयारी कीजिए । राजन सर और पुनीत जी की समीक्षा बढ़िया लगी । धन्यवाद ।
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Sunil Kumar Goel Congrats Singh Saheb
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BN Pandey Congratulations Sir .... May Goddess Sarswati give you the Strength to write more & More Books on different topics for the benefit of Our New Generation ...
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Ram Saran Singh Very good Pandey ji.
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Sneh Prabha Khurana Congratulations
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Rajender Gaur बधाई आदरणीय
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S.K. Yadav Wow, congratulations sir..
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Ashima Verma Congrats uncle
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Jauhari Kul Bhushan सिंह साहब हार्दिक बधाई व शुभकामनायें
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Rajan Varma हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं भाई सॉ
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SN Gupta Congrats
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Neeraj Saxena Badhai ho sir
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Jai Wokhloo Accept my hearty Congratulations.
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Puneet Chowdhary Congrats sir
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Neelesh B Sokey Congratulations Sahab
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Hari Shankar Pandey Congratulations sir
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Rakesh Kapoor Bhadhai हो
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Kirti Goel Congrats
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Harihar Singh बधाई हो जी
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Rp Singh Congratulations
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Rishi Kumar Congrats All the best Sir
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S.p. Singh Thanks friends for such overwhelming support. I am indeed grateful to you all.
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Narendra Kumar Singh Sengar Badhai dada sree
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S.p. Singh धन्यवाद नरेंद्र।
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Ram Asrey Singh Congratulations sir.
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एसपी यादव बधाई हो सर
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Vinod Kumar Bhatnagar Congratulations sir
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Hira Singh Kunwar Congrats Sir 👍👍
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SP Rana सर किताब को आपने टूरिस्टीक्यू एक रशियन नाम दिया, मन गद-गद हो गया
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Mukesh Ojha Congrats sir...from where may i get a copy..
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Jayasheelan Mv Congratulations on your release of the book 'Touristique' and wish you a few more such releases.
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Tarun Singh Rao Congratulations boss 
Where is my copy ?
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Sanjay Bedi Heartly congratulations
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Ravi Srivastava Congratulations!!!
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S.p. Singh A big thank you all my dear friends.
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Ashok Kumar Mishra Congratulations!
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Sudhir Malhotra Congrats
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Surinder Gera Congratulations
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Arun Kumar Singh बहुत बहुत बधाई हो सर ।
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Krishna Dutt Singh नई बुक प्रकाशन पर हमारी हार्दिक बधाई
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Sudhakar Pandey Very nice, Congratulations
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Anil Mendiratta Congrats singh saheb
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Hari Hridaya Congrats sir ji
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Kamal Raj Agrawal Congrats Singh saheb. Party to banti H.
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Raj Gupta Congratulations
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Kumud Bhatnagar Congretes. S.P. Bhai Sb.
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एस.पी. द्विवेदी हार्दिक बधाई ।
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Manoj Chaturvedi Congrats sir.
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Varsha Singh Congratulations sir
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Santosh Kumar Singh Congratulations sir.
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Ishwar Dass congrats sirji
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Bal Krishna Verma Bahut bahut badhai good morning sir
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Rajesh Saksena CONGRATULATIONS SINGH SAHAB.
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Om Prakash Nigam Congrates sir
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Santosh Kumar Sharma Congratulations sir 
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