Saturday, August 23, 2014

कमजोर हो गए हो बहुत कुछ खा पी लिया करो

कलम से____

कमजोर हो गए हो बहुत
कुछ खा पी लिया करो
घरवाली ने इतना कह कर
मेरा दिल खुश कर दिया।

पीने के नाम पर मन प्रसन्न बहुत हुआ
खाने के लिए भुना मुर्गा मंगा लिया
बैठ गए यार चार मिल जाम टकरा दिया
मौसम में बदली छाने का इंतजार ना किया।

थोडी ही देर में वह हो गई हमपर सवार
नीचे थे हम ऊपर चढ़ बैठे थे यार
अंग्रेजी बोलने का दौर जो शुरू हुआ
रुकने को कोई भी तैयार न हुआ।

नौबत आपस में हाथापाई पर पहुंच गई
सुन कर कहानी हमारी पुलिस भी आ गई
सारा नशा काफूर हुआ पुलिस को देख कर
शरीफजादों सा व्यवहार किया सोच समझ कर।

(आज शनिवार है कुछ के लिऐ मौज मस्ती का दिन - एक कटाक्ष)

//surendrapalsingh//

http://spsinghamaur.blogspot.in/
 — with Puneet Chowdhary.
Photo: कलम से____

कमजोर हो गए हो बहुत
कुछ खा पी लिया करो
घरवाली ने इतना कह कर
मेरा दिल खुश कर दिया।

पीने के नाम पर मन प्रसन्न बहुत हुआ
खाने के लिए भुना मुर्गा मंगा लिया
बैठ गए यार चार मिल जाम टकरा दिया
मौसम में बदली छाने का इंतजार ना किया।

थोडी ही देर में वह हो गई हमपर सवार
नीचे थे हम ऊपर चढ़ बैठे थे यार
अंग्रेजी बोलने का दौर जो शुरू हुआ
रुकने को कोई भी तैयार न हुआ।

नौबत आपस में हाथापाई पर पहुंच गई
सुन कर कहानी हमारी पुलिस भी आ गई
सारा नशा काफूर हुआ पुलिस को देख कर
शरीफजादों सा व्यवहार किया सोच समझ कर।

(आज शनिवार है कुछ के लिऐ मौज मस्ती का दिन - एक कटाक्ष)

//surendrapalsingh//

http://spsinghamaur.blogspot.in/
  • Ram Saran Singh " हंगामा है क्यों बरपा थोड़ी सी जो ........." महोदय शनिवार मुबारक हो ।
    19 hours ago · Unlike · 2
  • Anjani Srivastava जब चलना नहीं आता तो गिरने नहीं देते थे लोग....
    जब से संभाला खुद को कदम कदम पर गिराने की सोचते है लोग.... इसलिए बड़ी देर से पैमाना लिए बैठा हूँ, कोई देखे तो ये समझे कि पिये बैठा हूँ I
    See Translation
    17 hours ago · Unlike · 1
  • Manish Sukhwal बहुत खूबSee Translation
    17 hours ago · Unlike · 1
  • BN Pandey BHARI HAI AAG MATAWAALE TERI BOTAL KI PAANI ME...LAGAATAA AAG KYO HAI BATAA APANI JAWAANI ME.... ARE BOTAL KE DEEWAANE PATAK DE PHOR DE BOTAL...BHARI HAI KHOON LAAKHO KAA TERE ES LAAL PAANI ME....
    15 hours ago · Unlike · 2
  • Puneet Chowdhary Ek our teer
    15 hours ago · Unlike · 2
  • S.p. Singh वाह वाह पांडे जी।........भरा है खून लाखों का तेरे इस लाल पानी में।
    बहुत खूब।
    15 hours ago · Like · 1
  • S.p. Singh पुनीत,
    यह मौसम बेकार का मौसम है कवियों और शायरों के लिए । सूखा रूखा सा है। बरसात के दिन हों, सरदी का मौसम हो, होली का त्योहार का मौसम हो तब कविता अपने आप बनने लगती है। आजकल पीने पिलाने में भी कोई मजा नहीं है। सही बताएं तो लिखने का मौसम ही नहीं है। फिर भी कुछ लिख जाता है। 
    तीर तरकश में कम रह गए हैं
    ...See More

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