Monday, August 25, 2014

सो रहे हो क्या?

कलम से____

सो रहे हो क्या?

थक कर इतना जल्दी क्यों सो जाते हो
अरमान जगा खुद चैन की वंशी बजाते हो।

रात अभी गहराई है नीदं तुम्हें क्यों आई है
उठो बैठो कुछ बात करो याद तुम्हारी आई है।

अपने हाथों में ले कुछ मेरी हथेली पर लिखो
कुछ याद आएतो दो आखर प्यार के लिखो।

मेरी हथेली पर नाम लिख मुझे निहाल करो
जान हूँ मैं मुझे जानू कह कर पुकार भर लो।

चंद्रमा चादँनी से है दामिनी बादलों से है
रंग रूप जो है मेरा सिर्फ तेरे लिए है।

जाग जाओ मेरे लिए अब न सोओ प्रीतम प्रिये
सोना अभी से नहीं बस जाग जाओ मेरे लिए।

//surendrapalsingh//

http://spsinghamaur.blogspot.in/
 — with Puneet Chowdhary.
Photo: कलम से____

सो रहे हो क्या?

थक कर इतना जल्दी क्यों सो जाते हो
अरमान जगा खुद चैन की वंशी बजाते हो।

रात अभी गहराई है नीदं तुम्हें क्यों आई है
उठो बैठो कुछ बात करो याद तुम्हारी आई है।

अपने हाथों में ले कुछ मेरी हथेली पर लिखो
कुछ याद आएतो दो आखर प्यार के लिखो।

मेरी हथेली पर नाम लिख मुझे निहाल करो
जान हूँ मैं मुझे जानू कह कर पुकार भर लो।

चंद्रमा चादँनी से है दामिनी बादलों से है
रंग रूप जो है मेरा सिर्फ तेरे लिए है।

जाग जाओ मेरे लिए अब न सोओ प्रीतम प्रिये
सोना अभी से नहीं बस जाग जाओ मेरे लिए।

//surendrapalsingh//

http://spsinghamaur.blogspot.in/

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