Monday, August 25, 2014

कमजोर हो गए हो बहुत कुछ खा पी लिया करो

कलम से____

कमजोर हो गए हो बहुत
कुछ खा पी लिया करो
घरवाली ने इतना कह कर
मेरा दिल खुश कर दिया।

पीने के नाम पर मन प्रसन्न बहुत हुआ
खाने के लिए भुना मुर्गा मंगा लिया
बैठ गए यार चार मिल जाम टकरा दिया
मौसम में बदली छाने का इंतजार ना किया।

थोडी ही देर में वह हो गई हमपर सवार
नीचे थे हम ऊपर चढ़ बैठे थे यार
अंग्रेजी बोलने का दौर जो शुरू हुआ
रुकने को कोई भी तैयार न हुआ।

नौबत आपस में हाथापाई पर पहुंच गई
सुन कर कहानी हमारी पुलिस भी आ गई
सारा नशा काफूर हुआ पुलिस को देख कर
शरीफजादों सा व्यवहार किया सोच समझ कर।

(आज शनिवार है कुछ के लिऐ मौज मस्ती का दिन - एक कटाक्ष)

//surendrapalsingh//

http://spsinghamaur.blogspot.in/
 — with Puneet Chowdhary.
Photo: कलम से____

कमजोर हो गए हो बहुत
कुछ खा पी लिया करो
घरवाली ने इतना कह कर
मेरा दिल खुश कर दिया।

पीने के नाम पर मन प्रसन्न बहुत हुआ
खाने के लिए भुना मुर्गा मंगा लिया
बैठ गए यार चार मिल जाम टकरा दिया
मौसम में बदली छाने का इंतजार ना किया।

थोडी ही देर में वह हो गई हमपर सवार
नीचे थे हम ऊपर चढ़ बैठे थे यार
अंग्रेजी बोलने का दौर जो शुरू हुआ
रुकने को कोई भी तैयार न हुआ।

नौबत आपस में हाथापाई पर पहुंच गई
सुन कर कहानी हमारी पुलिस भी आ गई
सारा नशा काफूर हुआ पुलिस को देख कर
शरीफजादों सा व्यवहार किया सोच समझ कर।

(आज शनिवार है कुछ के लिऐ मौज मस्ती का दिन - एक कटाक्ष)

//surendrapalsingh//

http://spsinghamaur.blogspot.in/
  • Ram Saran Singh " हंगामा है क्यों बरपा थोड़ी सी जो ........." महोदय शनिवार मुबारक हो ।
  • Anjani Srivastava जब चलना नहीं आता तो गिरने नहीं देते थे लोग....
    जब से संभाला खुद को कदम कदम पर गिराने की सोचते है लोग.... इसलिए बड़ी देर से पैमाना लिए बैठा हूँ, कोई देखे तो ये समझे कि पिये बैठा हूँ I
    See Translation
  • Manish Sukhwal बहुत खूबSee Translation
  • BN Pandey BHARI HAI AAG MATAWAALE TERI BOTAL KI PAANI ME...LAGAATAA AAG KYO HAI BATAA APANI JAWAANI ME.... ARE BOTAL KE DEEWAANE PATAK DE PHOR DE BOTAL...BHARI HAI KHOON LAAKHO KAA TERE ES LAAL PAANI ME....
  • Puneet Chowdhary Ek our teer
  • S.p. Singh वाह वाह पांडे जी।........भरा है खून लाखों का तेरे इस लाल पानी में।
    बहुत खूब।
  • S.p. Singh पुनीत,
    यह मौसम बेकार का मौसम है कवियों और शायरों के लिए । सूखा रूखा सा है। बरसात के दिन हों, सरदी का मौसम हो, होली का त्योहार का मौसम हो तब कविता अपने आप बनने लगती है। आजकल पीने पिलाने में भी कोई मजा नहीं है। सही बताएं तो लिखने का मौसम ही नहीं है। फिर भी कुछ लिख जाता है। 
    तीर तरकश में कम रह गए हैं
    चलाने वाले अधिक हो गए हैं।
  • BN Pandey SIR AAP TO KAVI HRIDAY HAI.....MAA SARSWATI KI AAP PER APAAR KRIPAA HAI....RACHANAA KE LIYE KUCHH BHI NAI SOCH DIKHANI CHAAHIYE.......LIJIYE HAAZIR HAI AAJ KE ZAMAANE ME JO LOG SHARAAB NAHI PITE HAI UNME BHI KAI AISE HAI JO SHARABIYO SE BHI JYAADAA KUK...See More
  • S.p. Singh "एक बार एक शराबी से गुफ्तगू हुई वो बात जानकर ज़नाब हम हैरान रहगए,
    कहने लगा कि हम तो शराबी हैं छोडिये वाकी के लोग किस लिए हैवान हो गए।"
    ...See More
  • BN Pandey BILKUL MAAKUL SIR PER HINDI ME N TYPE KER PANAA HI TO HUME MAAR DETAA HAI....
  • S.p. Singh कुछ न कुछ तो बनेगा विचार एक दिन
    कैसे वो कमाल होगा देखना एक दिन।

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