Saturday, August 16, 2014

आज मैं अपने जीन्स पर कुछ खोज करता हूँ।

सुप्रभात दोस्तों। Good morning friends.
08 16 2014

आज रविवार है। छुट्टी का दिन। मैं भी छुट्टी के मूड में था। पर कहाँ मन हमेशा चलायमान रहता है।

याद हो आया कि अबकी बार हमारे नए पीम श्री मोदी जी ने पन्द्रह अगस्त के दिन ध्वज फहराया और इतिहास में वह पहले व्यक्ति बन गए जो स्वतंत्र भारत में पैदा हुए थे। यह मैं इस लिए कह रहा हूँ कि कमेन्ट्ररेटर ने जोर देकर यह बात रखी थी। मेरे जैसे कई लोग अभी हैं जिनकी पैदाइश को यह कहा जाएगा कि यह लोग पराधीन भारत के जमाने के हैं। लगता है कि यह भी कोई इतिहास की घटना बनने वाली है।

चलिए जो भी हो अच्छा होता है। हमको मौका मिलता है कि कभी कभी अपने बारे में भी जानो।

आज मैं अपने जीन्स पर कुछ खोज करता हूँ।इसी सिलसिले में पारिवारिक सिज़रा भी ढूँढ डाला है। तलवार भाला चलाने वाले हम लोग बहादुरी के करतब दिखाते हुए एक जगह से दूसरी जगह जैसलमेर से इधर उधर भटकते हुए आगए इस उत्तर प्रदेश में। पूर्वजों ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जमींदारी खरीदी। फिर यहीं बस गए, यहीं के हो कर रह गए। तब से यहीं रह रहे हैं और हालात को कोस रहे हैं, कंहा आ फंसे इस उल्टा प्रदेश में।

हमारे पूज्य दादाश्री महताब सिंह जी ने गावँ के काम में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई और जमींदारी का काम छोटे भ्राताश्री को सौंप शहर आ गए और प्रिन्टिगप्रेस का काम शुरू किया। एक लोकल साप्ताहिक अख़बार भी निकाला और इस तरह अपना पठन पाठन का शौक पूरा किया।उस वक्त(1932 के आसपास) अख़वार निकालना एक बडा और साहसिक काम माना जाता था। सभी हुक्मरान डरते रहते थे। कोई भी काम कमिश्नरी से ज़िले का बस फट से हो जाता था। उस जमाने के महत्वपूर्ण लोगों में आगरे के पंडित श्रीकृष्ण दत्त पालीवाल(सैनिक दैनिक), श्री डोरी लाल अग्रवाल जी(अमर उजाला) तथा वह सभी प्रिन्ट मीडिया से जुडे सभी नामीगिरामी लोग घर आया करते थे। हमेशा बचपन में मैने अपने दादाश्री की कलम को चलते ही देखा। कलम थी, कि चलती ही रहती थी।अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ आग उगलती रहती थी। कई बार जेल भी जाना पडा पर उनकी कलम रुकी नहीं। उनके मुखारविंद से कभी कोई कडवा शब्द सुना नहीं। जीवन भर वह प्रेस से जुडे काम धन्धे में लगे रहे। दूसरा, अगर कोई शौक था तो भवन निर्माण का।ऐसे व्यक्तित्व के अन्तर्गत रह कर मेरा लालन पोषण हुआ। मैं अपनी दादी अम्मा का बहुत लाडला रहा।

हमारे मित्र एसपी त्रिपाठी जी ने एक बार पूछा था कि जब साथ रहते थे हम लोग ITI में, तब यह कलम की प्रतिभा देखने को नहीं मिली। मुझे भी इसका अहसास नहीं था।

जब पिछले साल अरसठ के हुए और जीवन के दूसरे काम और नौकरी से फुर्सत पाई तो अचानक से यह सुप्त्वस्था में पडी कलम जग गई और तब से निरंतर चल रही है। लगता है कि बुजुर्गों का यह जीन्स विरासत में जो मिले हैं, सोते से जाग गए हैं ।दो शब्द, आज बस इस कलम के नाम।

"कलम है लिखती जा रही
रुकने का नाम न ले रही
न जाने कब तक चलेगी
जब तक चलेगी
धार ऐसी ही रहेगी
इच्छा शक्ति बनी रहे
काम बुद्धि करती रहे
जब तक है जहान
आशिकी कलम से बनी रहे
कलम मेरी सलामत रहे
कलम ऐसे ही चलती रहे ............"

आप सभी का प्रेम और सहयोग बना रहे यह अभिलाषा है।

//surendrapal singh//

http://spsinghamaur.blogspot.in/

Photo: सुप्रभात दोस्तों। Good morning friends.
08 16 2014

आज रविवार है। छुट्टी का दिन। मैं भी छुट्टी के मूड में था। पर कहाँ मन हमेशा चलायमान रहता है।
 
याद हो आया कि अबकी बार हमारे नए पीम श्री मोदी जी ने पन्द्रह अगस्त के दिन ध्वज फहराया और इतिहास में वह पहले व्यक्ति बन गए जो स्वतंत्र भारत में पैदा हुए थे। यह मैं इस लिए कह रहा हूँ कि कमेन्ट्ररेटर ने जोर देकर यह बात रखी थी। मेरे जैसे कई लोग अभी हैं जिनकी पैदाइश को यह कहा जाएगा कि यह लोग पराधीन भारत के जमाने के हैं। लगता है कि यह भी कोई इतिहास की घटना बनने वाली है।

चलिए जो भी हो अच्छा होता है। हमको मौका मिलता है कि कभी कभी अपने बारे में भी जानो।

आज मैं अपने जीन्स पर कुछ खोज करता हूँ।इसी सिलसिले में पारिवारिक सिज़रा भी ढूँढ डाला है। तलवार भाला चलाने वाले हम लोग बहादुरी के करतब दिखाते हुए एक जगह से दूसरी जगह जैसलमेर से इधर उधर भटकते हुए आगए इस उत्तर प्रदेश में। पूर्वजों ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जमींदारी खरीदी। फिर यहीं बस गए, यहीं के हो कर रह गए। तब से यहीं रह रहे हैं और हालात को कोस रहे हैं, कंहा आ फंसे इस उल्टा प्रदेश में।

हमारे पूज्य दादाश्री महताब सिंह जी ने गावँ के काम में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई और जमींदारी का काम छोटे भ्राताश्री को सौंप शहर आ गए और प्रिन्टिगप्रेस का काम शुरू किया। एक लोकल साप्ताहिक अख़बार भी निकाला और इस तरह अपना पठन पाठन का शौक पूरा किया।उस वक्त(1932 के आसपास) अख़वार निकालना एक बडा और साहसिक काम माना जाता था। सभी हुक्मरान डरते रहते थे। कोई भी काम कमिश्नरी से ज़िले का बस फट से हो जाता था। उस जमाने के महत्वपूर्ण लोगों में आगरे के पंडित श्रीकृष्ण दत्त पालीवाल(सैनिक दैनिक), श्री डोरी लाल अग्रवाल जी(अमर उजाला) तथा वह सभी प्रिन्ट मीडिया से जुडे सभी नामीगिरामी लोग घर आया करते थे। हमेशा बचपन में मैने अपने दादाश्री की कलम को चलते ही देखा। कलम थी, कि चलती ही रहती थी।अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ आग उगलती रहती थी। कई बार जेल भी जाना पडा पर उनकी कलम रुकी नहीं। उनके मुखारविंद से कभी कोई कडवा शब्द सुना नहीं। जीवन भर वह प्रेस से जुडे काम धन्धे में लगे रहे। दूसरा, अगर कोई शौक था तो भवन निर्माण का।ऐसे व्यक्तित्व के अन्तर्गत रह कर मेरा लालन पोषण हुआ। मैं अपनी दादी अम्मा का बहुत लाडला रहा।

हमारे मित्र एसपी त्रिपाठी जी ने एक बार पूछा था कि जब साथ रहते थे हम लोग ITI में, तब यह कलम की प्रतिभा देखने को नहीं मिली। मुझे भी इसका अहसास नहीं था।

जब पिछले साल अरसठ के हुए और जीवन के दूसरे काम और नौकरी से फुर्सत पाई तो अचानक से यह सुप्त्वस्था में पडी कलम जग गई और तब से निरंतर चल रही है। लगता है कि बुजुर्गों का यह जीन्स विरासत में जो मिले हैं, सोते से जाग गए हैं ।दो शब्द, आज बस इस कलम के नाम।

"कलम है लिखती जा रही
रुकने का नाम न ले रही
न जाने कब तक चलेगी
जब तक चलेगी 
धार ऐसी ही रहेगी
इच्छा शक्ति बनी रहे
काम बुद्धि करती रहे
जब तक है जहान
आशिकी कलम से बनी रहे
कलम मेरी सलामत रहे
कलम ऐसे ही चलती रहे ............"
 
आप सभी का प्रेम और सहयोग बना रहे यह अभिलाषा है।

//surendrapal singh//

http://spsinghamaur.blogspot.in/
  • Suresh Chadha Suprabhatam Sabi Mitro ko ......See Translation
  • S.p. Singh जन्माष्टमीकी हार्दिक शुभकामनाएं
    3 hours ago · Like · 1
  • Rajan Varma राधे राधे- सिहँ साहब- जन्माष्टमी की शुभकामनाऐं; आपके पूर्वजों का कलम अौर जंगे-आज़ाादी से रिश्ता पढ़ कर अच्छा लगा; आपने अपनी विरासत अन्ततः संभाल ली; आपका शौक पूरा हो गया, हम जैसे श्रोताअों का बैठे-बैठे कल्याण हो गया; 
    आपकी कलम सलामत् रहे, आपका स्वास्थ बना रहे- ऐसी मेरी प्रार्थना है कान्हा से उनके शुभाग्मन पर-
    2 hours ago · Unlike · 2
  • S.p. Singh राधे राधे।
    2 hours ago · Like · 1
  • Satyendra Shukla Apki Kalam hamesha chalegi, yey apkey d n a mey hai, good morning sir.
    2 hours ago · Unlike · 1
  • S.p. Singh Good morning. Satyendra.
  • Arun Kumar Singh सुप्रभात
    2 hours ago · Unlike · 1
  • BN Pandey SIR KISI BHI NAYE TARAH KAA SHAUK AADAMI KO TEEN AGE ME LAGATAA HAI AUR USE ETANAA DEEWAANAA BANAA DETAA HAI KI KHAANE -PINE TUK KI SUDHI NAHI HOTI HAI........AAJ AAP APANE HISAAB SE 67 SAAL KI UMR ME HAI................YAANI UMR KE PAHALI GOLDEN JUBI...See More
  • S.p. Singh बहुत खूब धन्यवाद पांडे जी।
  • Ajay Jain Happy Sunday ji
  • Sp Tripathi काव्य सरिता के उदगम को नमन । यह सरिता हमेशा काव्य जल से अनगिनत लोगों को जोड़ती जायेगी और उन्हें सुख एवं शान्ति देगी । यह क़लम पूर्वजों के आशीर्वाद से और निखरती एवं व्यापक होती जायेगी ।See Translation
    • Anjani Srivastava 'सुप्त्वस्था में' खामोश बैठे हैं तो लोग कहते हैं........ उदासी अच्छी नहीं और ज़रा सा हंस लें तो लोग मुस्कुराने की वजह पूछ लेते है -शुभकामनाएँ सर जी !See Translation
    • S.p. Singh Sp
      बहुत बहुत धन्यवाद। किसी की भावना को ठेस न लगे और स्वस्थ मनोरंजन के साथ साथ भजन पूजन भी होता रहे यही प्रयास रहेगा।

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